भाजपा इस सीट से कभी नहीे जीती

उत्तर प्रदेश की मैनपुर लोकसभा सीट पर लंबे समय से सपा का दबदबा रहा है। यहां 1996 से लगातार सपा का उम्मीदवार जीत दर्ज कर संसद में पहुंचा है। फिलहाल 2024 लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। इस बार इस सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सपा की उम्मीदवार है। वहीं, एनडीए ने सीट पर अभी तक अपना प्रत्याशी फाइनल नहीं किया है।

यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद 2022 मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में हुए थे। इस चुनाव में सपा की डिंपल यादव ने बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को बड़े अंतर से हराया था। डिंपल को इस चुनाव में 6,18,120 वोट और शाक्य को 3,29,659 वोट मिले थे। जानकारी के अनुसार साल 1952 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था, उस समय कांग्रेंस के बादशाह गुप्ता चुनाव जीते थे। 1957 प्रसोपा के वंशीदास धनगर यहां से सांसद बने थे।

मैनपुरी लोकसभा सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां करीब 4.30 लाख यादव वोट बैंक है। इस सीट पर शाक्य वोट 2. 90 लाख 2 लाख ठाकुर, 1 लाख ब्राह्मण और तकरीबन 60 हजार मुस्लिम वोट बैंक हैं। इसके अलावा 1962 में  फिर कांग्रेस के बादशाह गुप्ता चुनाव जीते। इसके बाद 2022 तक सपा, जनता पार्टी समेत अलग-अलग पार्टी से यहां सांसद चुने गए। लेकिन अभी तक भाजपा का इस सीट से खाता नहीं खुला है।

मैनपुरी लोकसभा सीट पर कुल करीब 17 लाख से ज्यादा की आबादी है। यहां कुल पांच विधानसभा मैनपुरी, भोगांव, करहल, जसवंत नगर और किश्नी (सुरक्षित) पांच विधानसभा हैं। जानकारी के अनुसार इनमें से तीन सीट पर समाजवादी पार्टी के विधायक और दो पर बीजेपी के विधायक हैं। बता दें यहां की करहल विधानसभा से अखिलेश यादव खुद विधायक हैं और जसवंत नगर सीट से चाचा शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं।

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