उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयान से सियासी भूचाल

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हालिया बयानों ने सियासी हलकों में जोरदार भूचाल ला दिया है। विपक्षी पार्टियों ने उनके बयानों को न्यायपालिका की तौहीन बताते हुए तीखी आलोचना की है। कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी समेत कई दिग्गज कानूनी जानकारों ने धनखड़ पर आरोप लगाया कि उन्होंने संविधान और अदालतों की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। वहीं इस विवाद में बीजेपी ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए उपराष्ट्रपति का बचाव किया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने साफ कहा, “हमारे लोकतंत्र में सबसे ऊपर अगर कोई चीज है तो वो है भारत का संविधान। न राष्ट्रपति, न प्रधानमंत्री और न ही राज्यपाल, कोई भी व्यक्ति संवैधानिक मर्यादा से ऊपर नहीं हो सकता।” सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी सराहा जिसमें राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा रोके गए बिलों पर तीन महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने इसे साहसिक और समय पर लिया गया फैसला बताया।

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति के बयान को बेहद आपत्तिजनक करार दिया और कहा कि ये अदालत की अवमानना के दायरे में आता है। उन्होंने कहा, “उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ये उम्मीद की जाती है कि वो बाकी संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करे, ना कि बार-बार उनकी उपेक्षा करे।”

वहीं, बीजेपी ने उपराष्ट्रपति का बचाव करते हुए विपक्ष पर पलटवार किया। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “मुझे उस पार्टी से संवैधानिक मर्यादा सीखने की जरूरत नहीं है जो कहती है कि वह संसद द्वारा पारित कानून को लागू नहीं करेगी, उपराष्ट्रपति के पद का मजाक उड़ाती है, वोट बैंक की राजनीति के नाम पर दंगाइयों को बचाती है और बंगाल में हिंदू पीड़ितों से मिलने के लिए उसके पास समय नहीं है।”

राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने और सुपर संसद के रूप में कार्य करने को लेकर सवाल उठाते हुए कहा था कि उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर परमाणु मिसाइल नहीं दाग सकता। उन्होंने उच्चतम न्यायालय को पूर्ण शक्तियां प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 142 को न्यायपालिका को चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल करार दिया।

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