शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा रद्द कर दी क्योंकि इसकी अखंडता से समझौता नही किया जा सकता है और इस बात पर जोर दिया है कि वह किसी के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा। हालांकि, शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने साफ तौर पर कहा कि यूजीसी-नेट के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली थी, उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे रद्द किया गया। उन्होंने कहा कि प्राप्त जानकारियों से प्रथम दृष्टया यह संकेत मिले कि यूजीसी-नेट परीक्षा में धांधली हुई, परीक्षा की नयी तिथि जल्द घोषित की जाएगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस इनपुट के बाद यूजीसी-नेट को रद्द करने का आदेश दिया कि परीक्षा की अखंडता से समझौता किया जा सकता है, और मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया। शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोविंद जयसवाल ने कहा कि एनटीए द्वारा 18 जून को आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा में 9 लाख छात्रों ने भाग लिया था। मंत्रालय ने देखा कि परीक्षा से समझौता होने की संभावना थी। मंत्रालय ने परीक्षा रद्द करने का फैसला किया है। अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। मामला सीबीआई को भेज दिया गया है।
नीट मामले को लेकर गोविंद जयसवाल ने कहा कि नीट में कई मुद्दे थे. एक था ‘ग्रेस मार्क’ का मुद्दा। दूसरा आरोप है कि बिहार में कुछ हुआ है, जिसकी जांच चल रही है। तीसरा, गुजरात से कुछ कदाचार का आरोप लगा था। ये तीन अलग-अलग तरह के मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रेस मार्क का मुद्दा पूरी तरह से सुलझ गया है। बिहार में एक और कथित लीक, आर्थिक अपराध शाखा पहले से ही जांच कर रही है… उन्होंने बहुत सारी जानकारी मांगी है और एनटीए ने उपलब्ध भी करा दी है।
शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने का बुधवार को आदेश दिया और मामले को गहन जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया है। मंत्रालय का यह फैसला मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) में कथित अनियमितताओं को लेकर उपजे विवाद के बीच आया है और यह मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में है।