नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि शरद गुट को लोकसभा-विधानसभा चुनाव में ‘NCP-शरदचंद्र पवार’ नाम और ‘तुरही बजाता आदमी’ चुनाव चिह्न के तौर पर इस्तेमाल करने की मान्यता दें। कोर्ट ने अजित पवार गुट को विधायी बहुमत के आधार पर मान्यता देने के चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल भी किया। चिंता जताई कि यह नजरिया दलबदल को बढ़ावा दे सकता है।
अदालत ने अजित गुट की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘जब चुनाव आयोग किसी गुट को केवल विधायी ताकत के आधार पर मान्यता दे रहा है, न कि संगठनात्मक ताकत के आधार पर… इस तरह, आप दलबदल कर सकते हैं और पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा कर सकते हैं। क्या यह वोटर्स का मजाक नहीं होगा?’ सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजित पवार के नेतृत्व वाले धड़े से अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में अखबारों में यह सार्वजनिक नोटिस जारी करने को कहा कि ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न अदालत में विचाराधीन है। इसका इस्तेमाल फैसले के आधार पर होगा।
दरअसल, NCP का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ था। पार्टी में विभाजन के बाद यह निशान अजित पवार वाले गुट के पास है। इसके खिलाफ शरद पवार गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उसने ‘घड़ी’ वाले निशान का इस्तेमाल करने से इस आधार पर रोकने की मांग की गई थी कि यह समान अवसर को बाधित कर रहा है।