
लखनऊ। गर्मियों में बिजली की मांग इस बार सभी रेकॉर्ड तोड़ सकती है। इसी को देखते हुए पावर कॉरपोरेशन ने अतिरिक्त बिजली के इंतजाम के साथ-साथ नए पावर प्लांटों से गर्मियों तक बिजली पहुंचाने के काम पर तेजी से ध्यान देना शुरू कर दिया है। मई-जून में सबसे ज्यादा बिजली मांग के समय राज्य विद्युत उत्पादन निगम ये यूनिटें शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इन यूनिटों के शुरू होने से पावर कॉरपोरेशन के पास 1980 मेगावॉट की बिजली क्षमता बढ़ जाएगी।
इस बार गर्मियों में बिजली की डिमांड 33,000 मेगावॉट के पार जाने का अनुमान है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन अलग-अलग स्रोतों से बिजली मुहैया करवाने पर काम कर रहा है। यही वजह है कि नई यूनिटों को भी गर्मियों तक शुरू करने की तैयारी है। साथ ही इस बार बिजली खरीद के लिए 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है।
मई-जून तक जिन तीन नई यूनिटों से बिजली उत्पादन शुरू किया जाना है। उनमें पनकी की 660 मेगावॉट की यूनिट शामिल है। इसके अलावा जवाहरपुर पावर प्लांट की 660 मेगावॉट और ओबरा-सी की 660 मेगावॉट यूनिट से बिजली उत्पादन मई-जून तक शुरू हो जाएगा। राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों के मुताबिक पनकी पावर प्लांट का उत्पादन जल्द ही शुरू हो जाएगा। इसके बाद जवाहरपुर और ओबरा-सी परियोजना से भी बिजली उत्पादन शुरू होगा। इसके अलावा जवाहरपुर परियोजना की पिछले साल शुरू हुई यूनिट भी इन गर्मियों में फुल लोड पर चलने लगेगी।
गर्मियों में बिजली की व्यवस्था के साथ-साथ ट्रांसफॉर्मर ओवरलोडिंग और ट्रिपिंग से निपटना पावर कॉरपोरेशन के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों के मुताबिक ओवरलोडिंग और ट्रिपिंग से निपटने के लिए वितरण क्षेत्र में करीब 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि आरडीएसएस योजना के तहत खर्च की गई है। इसके अलावा बिजनेस प्लान से भी बड़े पैमाने पर काम करवाए गए हैं, जिससे ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता बढ़ाने का भी काम किया गया है। साथ ही इन गर्मियों में ट्रांसफॉर्मर कम फुंकें, इसके लिए इंजिनियरों की जवाबदेही भी तय की गई है।