
लखनऊ। लखनऊ में मोहान रोड स्थित रिहैब सेंटर में रहने वाले चार मानसिक मंदित बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। अब भी कई बच्चे अस्पतालों में भर्ती हैं तो कई बच्चे सेंटर के भीतर ही मेडिकल टीम की निगरानी में हैं। मोहान रोड स्थित निर्वाण रिहैब सेंटर पीपीपी मॉडल पर संचालित है। यहां 10 से 18 साल तक की उम्र के मानसिक मंदित बच्चों की देखभाल की जाती है। इसके लिए सरकार हर साल 2.5 करोड़ का बजट देती है। पिछले साल बच्चों की संख्या अधिक होने पर 2.64 करोड़ का बजट दिया गया था। इसी तरह जानकीपुरम विस्तार में दृष्टि सामाजिक संस्था भी मानसिक मंदित बच्चों का सेंटर चला रही है। दोनों सेंटरों की निगरानी की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की है।
जानकारी के मुताबिक, इन सभी की तबीयत एक सप्ताह पहले बिगड़ी थी। 21 मार्च को उल्टी-दस्त होने लगी। कई बच्चों की उल्टी में कीड़े भी निकल रहे थे। इसके बाद संस्था में ही इनका गुपचुप इलाज चल रहा था। जानकारी के बाद प्रशासन ने बीमार बच्चों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया।
निर्वाण रिहैब सेंटर में 50 लड़कियां और 92 लड़के रह रहे थे। फिलहाल सेंटर में ही 22 बीमार बच्चों का इलाज चल रहा है। दो कमरो में बेड लगाकर इन्हें ड्रिप चढ़ाई जा रही है, हालांकि प्रशासन का कहना है कि सेंटर में सिर्फ सात बच्चे मेडिकल टीम की निगरानी में हैं। चर्चा है कि बच्चों को बासी और घटिया खाना परोसा जा रहा था। गंदगी और गंदा पानी भी बीमारी की वजह बताई जा रही है। अधिकारी फूड पॉयजनिंग की आशंका से भी इनकार नहीं कर रहे।
इलाज के दौरान 24 मार्च को लोकबंधु अस्पताल में एक बच्चे की मौत के बाद सेंटर में खाने का मेन्यू बदल दिया गया। डिप्टी सीएमओ डॉ. ज्योति कामले का कहना है कि 24 मार्च को बच्चों की हालत ज्यादा बिगड़ गई थी। इसके बाद से इन्हें मूंग की खिचड़ी दी जा रही है। इसके अलावा नगर निगम से पानी मंगवाकर पिलाया जा रहा है।
मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब, प्रमुख सचिव सचिव लीना जौहरी, एसडीएम सरोजनीनगर सचिन वर्मा, जलकल जोन 6 के एक्सईएन अनिल कुमार समेत कई अफसरों ने निर्वाण रिहैब सेंटर का निरीक्षण किया। दोपहर करीब एक बजे राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ. प्रियंका मौर्या भी पहुंचीं। उन्होंने कहा कि संस्था में जो भी कमियां मिली हैं, उसकी जांच करवाई जाएगी और बच्चों की मौत के दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, लोकबंधु में भर्ती कई बच्चों का हीमोग्लोबिन दस से कम मिला है। डॉ. प्रियंका ने कहा कि इतना कम हिमोग्लोबिन होना चिंता का विषय है।
एफएसडीए के सहायक आयुक्त द्वितीय वीपी सिंह ने बताया कि निर्वाण संस्था से आटा, दाल, चावल, सूजी, रिफाइन, घी समेत समेत कई पदार्थों के 12 सैंपल लिए गए हैं। सीएमओ की टीम ने पानी के सैंपल लिए हैं। सभी सैंपल जांच के लिए एफटीसी लैब भेजे गए हैं। चार बच्चों की मौत के बाद सेंटर में सफाई अभियान चलाया गया। नगर निगम के टैंकर पूरे दिन सीवर का मलबा साफ करते रहे। संस्था में सभी टैंक खुले पड़े थे, जिन्हें टूटी प्लाई से ढका गया था। इन्हें दुरुस्त किया गया। किचन, बच्चों के कमरों और टॉइलट में भी सफाई की गई।
लोकबंधु अस्पताल में कुल 25 बच्चे भर्ती करवाए गए थे। इनमें दो की मौत हो गई और दो को दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया गया। पांच डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। अब 16 बच्चे भर्ती हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि भर्ती के वक्त सभी बच्चे कमजोर लग रहे थे। उल्टी-दस्त के कारण सभी को डिहाइड्रेशन हो गया था। केजीएमयू रेफर किया गया एक बच्चा भी डिहाड्रेशन का शिकार था। ट्रॉमा इंचार्ज डॉ. प्रेमराज ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में इलाज के बाद उसे गांधी वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया।