प्रधान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव

नई दिल्ली।  नैशनल एजुकेशन पॉलिसी पर रार। ‘थ्री लैंग्वेज फॉर्म्युला’ यानी त्रिभाषा सूत्र पर तकरार। केंद्र और तमिलनाडु की सरकार में खिंची तलवार। एक दूसरे पर झूठ बोलने और गुमराह करने के आरोप-प्रत्यारोप। संसद में तीखी बहस। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सदन में अपनी कही गई कुछ बातों को वापस लेना। इसका जिक्र कर तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन का अपनी पीठ थपथपाना। प्रधान डीएमके पर राजनीतिक फायदे के लिए झूठ बोलने का आरोप। डीएमके की तरफ से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस।

तमिलनाडु में ‘पीएम-श्री’ स्कूल को लेकर केंद्र और राज्य के अपने-अपने दावे। केंद्र का दावा- तमिलनाडु सरकार राज्य में पीएम-श्री स्कूल के लिए उत्सुक थी। एमओयू भी साइन किया मगर बाद में यू-टर्न ले लिया। कुल मिलाकर थ्री लैंग्वेज फॉर्म्युले पर संसद और उसके बाहर सियासी ड्रामा चल रहा। बीजेपी और डीएमके एक दूसरे पर सियासत का आरोप लगा रही हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने एमके स्टालिन को काउंटर करने के लिए पिछले साल तमिलनाडु सरकार की तरफ से केंद्र को लिखे खत को भी सार्वजनिक कर दिया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और डीएमके के बीच पीएम श्री स्कूलों को लेकर तीखी बहस की शुरुआत संसद में हुई, जहां केंद्रीय मंत्री ने DMK पर आरोप लगाया कि वे संसद को गुमराह कर रहे हैं। DMK ने हिंदी को थोपने की कोशिश करार देकर नई शिक्षा नीति में तीन भाषाओं वाले फॉर्म्युले का विरोध किया है। इस पर प्रधान ने कहा कि DMK छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है और सिर्फ राजनीति कर रही है।

प्रधान ने आरोप लगाया कि डीएमके ने तीन भाषाओं वाला विवाद जानबूझकर खड़ा किया है। वो इससे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते थे। राज्यसभा में प्रधान ने DMK पर लोगों में डर पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि DMK तमिलनाडु के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। आज के दौर में देश और दुनिया में कई भाषाएं सीखना जरूरी है, लेकिन DMK ऐसा नहीं चाहती।

प्रधान ने कहा, ‘ये (DMK) बेईमान हैं। ये तमिलनाडु के छात्रों के प्रति समर्पित नहीं हैं। ये तमिलनाडु के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। इनका एकमात्र काम भाषा की दीवारें खड़ी करना है। ये राजनीति कर रहे हैं। ये शरारत कर रहे हैं। ये अलोकतांत्रिक और असभ्य हैं।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि DMK के हंगामे के उलट तमिल भाषा में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार घट रही है। लोग भारतीय भाषाओं को पिछड़ेपन की निशानी मानते हैं।

प्रधान ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि तमिलनाडु में अब 67% छात्र अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते हैं, जबकि तमिल माध्यम में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 2018-19 में 54% से घटकर 2023-24 में 36% हो गई है। सरकारी स्कूलों में पिछले पांच वर्षों में अंग्रेजी माध्यम में दाखिला पांच गुना बढ़कर 3.4 लाख से 17.7 लाख हो गया है, जबकि सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में तमिल माध्यम में दाखिला 7.3 लाख कम हो गया है, जो लोगों की पसंद में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है। इससे साफ है कि लोग अब अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

पीएम-श्री स्कूल पर धर्मेंद्र प्रधान के दावे पर डीएमके सांसद कनिमोझी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से प्रधान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया। कनिमोझी ने कहा कि प्रधान ने संसद को गुमराह किया है। उन्होंने कहा कि मंत्री का यह दावा गलत है कि तमिलनाडु सरकार ने PM SHRI स्कूलों के लिए केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया।

कनिमोझी ने बाद में पत्रकारों से कहा कि राज्य PM SHRI स्कूल स्थापित करने पर सहमत था, लेकिन एक शर्त पर। उन्होंने कहा, ‘हमने कहा था कि हम PM SHRI स्कूलों पर समिति की सिफारिशों के आधार पर सहमत हैं, उसके बाद ही राज्य सरकार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगी।’

एक दिन पहले लोकसभा में अपनी कुछ बातें वापस लेने के बाद प्रधान ने राज्यसभा में DMK पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि DMK उन्हें ‘मूर्ख’ कहकर गाली दे सकती है, लेकिन तमिलनाडु के लोगों को हमेशा बेवकूफ नहीं बना सकती। DMK लोगों को तरक्की के मौके से वंचित नहीं कर सकती।

खुद पर सदन को गुमराह करने के आरोप पर पलटवार करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 15 मार्च 2024 का एक खत दिखाया। यह खत तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा विभाग का था। इसमें PM SHRI स्कूलों को लेकर राज्य की सहमति दिखाई गई थी। प्रधान ने पोस्ट किया ‘… मैं संसद में दिए गए अपने बयान पर कायम हूं और 15 मार्च 2024 के तमिलनाडु स्कूल शिक्षा विभाग के सहमति पत्र को साझा कर रहा हूं। DMK सांसद और माननीय मुख्यमंत्री चाहे जितना झूठ बोलें, लेकिन जब सच्चाई सामने आती है तो वह दस्तक देती ही है।’

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