यूपी में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की तैयारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जल्द बढ़ी दरों का झटका लग सकता है। पावर कॉरपोरेशन बिजली दरों के साथ कनेक्शन दरों में भी बढ़ोतरी की तैयारी कर रहा है। इसके लिए कॉरपोरेशन ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को दरों में श्रेणीवार बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। बीते शुक्रवार को दिया गया यह प्रस्ताव अगर मंजूर होता है तो इसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में लगभग 35-40 फीसदी और ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 40-45 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।

पावर कॉरपोरेशन ने प्रस्ताव में कनेक्शन की दरों में भी 25-30 फीसदी बढ़ोतरी की बात कही है। कॉरपोरेशन ने कलेक्शन एफिशिएंसी के आधार पर प्रस्तावित घाटा 19,644 करोड़ रुपये दिखाया है। इसी आधार पर कॉरपोरेशन बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहता है। बढ़ोत्तरी प्रस्तावों को लेकर बढ़ी सुगबुगाहट पर हलचल तेज हो गई है। सवाल उपभोक्ताओं की ओर से उठाए जाने लगे हैं।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) के सभी आंकड़े समाचार पत्रों में प्रकाशित हो गए हैं। उपभोक्ताओं से आपत्तियां भी मांग ली गई हैं। बिजली दरों के मसले पर 7 जुलाई से सुनवाई होनी है। इस प्रक्रिया के बीच दाखिल किया गया श्रेणीवार बढ़ोतरी का प्रस्ताव आयोग को स्वीकार नहीं करना चाहिए।

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पिछले साल भी कॉरपोरेशन ने श्रेणीवार बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल किया था। तब भी इस मसले पर सुनवाई चल रही थी। इस वजह से आयोग ने प्रस्ताव खारिज कर दिया था। अध्यक्ष ने कहा कि बिजली उपभोक्ताओं के बिजली कंपनियों पर करीब 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहे हैं। इसके लिए परिषद ने बिजली दरों को 4 फीसदी तक घटाने का प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया है।

शासन की तरफ से बिजली कंपनियों के निजीकरण के मुद्दे पर सलाह लेने के लिए भी नियामक आयोग में प्रस्ताव दिया गया है। एनर्जी टास्क फोर्स ने निजीकरण के मुद्दे पर आयोग से सलाह लेने के लिए कहा था। दरअसल, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जाना है। यूपी सरकार इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। निजीकरण में दो बिजली कंपनियों की जगह पर पांच बिजली कंपनियां बनाई जानी है। इन कंपनियों में निजी क्षेत्र की 51 फीसदी और सरकार की 49 फीसदी की हिस्सेदारी होगी।

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