11 दिसंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था। वह भारतीय राजनीति के एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सम्मानित नेता थे। प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा दे चुके थे।प्रणब मुखर्जी को उनके गहरे ज्ञान, शालीनता और राजनीतिक अनुभव के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनका जीवन भारत की राजनीति और सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान का प्रतीक है। राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण और साहसिक निर्णय लिए, जिनमें कई ऐसे फैसले थे, जो परंपरागत रूप से राष्ट्रपति के दायरे से बाहर माने जाते थे। उनके फैसलों ने भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था में नया दृष्टिकोण पेश किया।
प्रणब मुखर्जी के पिता का नाम किंकर मुखोपाध्याय सरानी था और वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। साथ ही इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने इतिहास में एमए, राजनीतिक विज्ञान में एमए किया। वहीं एलएलबी और डी लिट की उपाधि हासिल की। प्रणब मुखर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूरी की।
राजनीतिक सफर
साल 1969 में मिदनापुर उपचुनाव के दौरान प्रणब मुखर्जी निर्दलीय कैंडिडेट के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे। इस दौरान जब देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उनके जोश और जज्बे को देखा, तो उनको कांग्रेस पार्टी का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया। यहीं से प्रणब मुखर्जी का राजनीति में पदार्पण हो गया। साल 1969 में वह राज्यसभा के सदस्य बनाए गए और साल 1982 में वह भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बनें। फिर आगे चलकर वह विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वाणिज्य मंत्री भी रहे।
प्रणब मुखर्जी ने करीब 6 दशक तक अपनी शानदार राजनीतिक पारी खेली। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था। वह एक मात्र ऐसे नेता थे, जिनको सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वह साल 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे।
विश्वास का रिश्ता
जब साल 2012 में प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति बने, तो उस दौरान वह केंद्र सरकार के मंत्री के रूप में कुल 39 मंत्री समूहों में से 24 का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। साल 2004 से लेकर 2012 के दौरान उन्होंने 95 मंत्री समूहों की अध्यक्षता की। बता दें कि राजनीतिक हलकों में मुखर्जी की पहचान आम सहमति बनाने की क्षमता रखने वाले एक ऐसे नेता के तौर पर थी, जिन्होंने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विश्वास का रिश्ता कायम किया था। उनके द्वारा बनाए गए विश्वास के रिश्ते राष्ट्रपति पद पर उनके चयन के समय काम आए।
निधन
भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन 31 अगस्त 2020 में हुआ था। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया था। प्रणब मुखर्जी की विद्वता और उनके व्यापक राजनीतिक अनुभव ने उन्हें देश में एक आदर्श नेता के रूप में स्थापित किया। उनका योगदान हमेशा भारतीय राजनीति और समाज में महत्वपूर्ण रहेगा।