जोड़ों की जकड़न को दूर करती है पपीते की चाय

गठिया यानी आर्थराइटिस एक गंभीर समस्या है, जो जोड़ों में सूजन, दर्द और जकड़न के रूप में सामने आती है। खासकर 40 की उम्र के बाद घुटनों, पीठ और हाथ-पैर के जोड़ों में दर्द आम हो जाता है। दवाएं और मलहम थोड़ी राहत देती हैं, लेकिन लंबे समय में इनके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ऐसे में लोग अब प्राकृतिक उपचार की ओर रुख कर रहे हैं, जिनमें एक नाम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है — पपीते की चाय।

पपीते में मौजूद पेपेन, विटामिन C, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण और एंटीऑक्सीडेंट्स गठिया दर्द में राहत देने में कारगर माने गए हैं। कई शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि पपीते के पत्तों या फल से बनी चाय शरीर की सूजन को कम करती है, इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाती है और जोड़ों की अकड़न को भी दूर करती है। यह चाय न केवल गठिया के लक्षणों को कम करती है बल्कि हड्डियों को पोषण भी देती है।

अगर आप गठिया दर्द का घरेलू उपाय, जोड़ों के लिए आयुर्वेदिक चाय, या घुटनों के दर्द का इलाज बिना दवा ढूंढ रहे हैं, तो दादी मां का यह नुस्खा आपकी मदद कर सकता है। पपीते की चाय को रोज़ाना दिनचर्या में शामिल करके आप दवाओं की निर्भरता कम कर सकते हैं और स्वाभाविक रूप से जोड़ों की सेहत सुधार सकते हैं।

पपीता न केवल स्वाद में अच्छा होता है बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें मौजूद पेपेन नामक एंजाइम शरीर में सूजन को कम करने का काम करता है। साथ ही इसमें मौजूद विटामिन A, C और E जोड़ों की सूजन को कम करते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। नियमित रूप से पपीते की चाय पीने से शरीर के अंदर की सूजन कम होती है और आर्थराइटिस के लक्षणों में सुधार आता है। इस प्राकृतिक उपचार को अपनाने से आप दवाओं की निर्भरता को भी कम कर सकते हैं।

पपीते की चाय बनाना बेहद सरल है। एक पका हुआ या कच्चा पपीता लें, इसके छोटे टुकड़े करें। एक पैन में दो कप पानी लें और उसमें पपीते के टुकड़े डालकर 10 मिनट तक उबालें। चाहें तो इसमें तुलसी की कुछ पत्तियां या एक चुटकी हल्दी भी डाल सकते हैं ताकि चाय और अधिक लाभकारी बन जाए। छानकर गुनगुना पीएं। दिन में एक या दो बार इसका सेवन करना फायदेमंद होता है। यह नुस्खा न केवल शरीर को आराम देता है बल्कि जोड़ों की अकड़न भी दूर करता है।

पपीता सिर्फ परंपरा में नहीं, विज्ञान में भी कारगर माना गया है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट्स के मुताबिक, पपीते में मौजूद पेपेन और कैरोटेनॉइड्स जैसे तत्व सूजन को कम करने और इम्यून सिस्टम को बेहतर करने में मदद करते हैं। यही कारण है कि आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में इसे जोड़ों के दर्द के लिए उत्तम माना गया है। यह चाय उन लोगों के लिए भी सुरक्षित है जो एलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट से बचना चाहते हैं।

पपीते की चाय खासतौर पर उनके लिए फायदेमंद है जो 40 की उम्र पार कर चुके हैं और जोड़ों के दर्द से जूझ रहे हैं। यह उन महिलाओं के लिए भी उपयोगी है जो मेनोपॉज के बाद हड्डियों में कमजोरी महसूस करती हैं। साथ ही, यदि आपका शरीर अक्सर सूजन या थकावट महसूस करता है, तो यह चाय आपको राहत दे सकती है। बुजुर्गों, कामकाजी लोगों और दिनभर खड़े रहने वालों के लिए यह एक बेहतरीन घरेलू टॉनिक है।

पपीते की चाय का सेवन सुबह खाली पेट और शाम को सोने से पहले करना सबसे अधिक लाभकारी माना जाता है। हालांकि, दिन में एक बार भी पीने से इसके लाभ मिलने लगते हैं। लगातार 2-3 हफ्तों तक इसका सेवन करने से असर दिखने लगता है। यदि किसी को मधुमेह है या गर्भवती महिला है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही सेवन करें। इसका स्वाद भले ही हल्का हो, लेकिन असर बेहद गहरा और प्रभावशाली होता है।

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