मायावती ने संविधान निर्माता को किया याद

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश समेत देशभर में संविधान निर्माता भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही है। बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी बाबासाहेब की जयंती मनाई जा रही है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी बाबासाहेब को नमन किया। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बाबासाहेब के मिशन को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुए दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अन्य उपेक्षित वर्गों से पार्टी से जुड़ने की भावुक अपील की। उन्होंने चुनावों में भी पार्टी के साथ बहुजन समाज के खड़ा होने की अपील की। मनुवादियों को विदेशी करार देते हुए बसपा प्रमुख ने बहुजन समाज को सत्ता की मास्टरचाबी अपने कब्जे में लेने की बात कही।

मायावती ने अंबेडकर जयंती के मौके पर कहा कि बाबासाहेब ने संविधान के जरिए समाज के वंचित तबकों को अधिकार तो दिलवाए, लेकिन राजनीतिक सत्ता को असली हथियार नहीं बनाया गया। बीएसपी ही पहली ऐसी पार्टी है जिसने बाबा साहेब के सिद्धांतों पर चलते हुए सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर ‘मनुवादी’ पार्टियों को चुनौती दी। उन्होंने कहा, जब तक सत्ता की मास्टर चाबी बहुजन समाज के हाथ में नहीं होगी, तब तक उनके जीवन स्तर में सार्थक सुधार नहीं होगा।

बसपा प्रमुख ने बहुजन समाज को रैली तौर पर पार्टी से जुड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि पार्टी से जुड़कर ही बाबासाहेब के विचार को उच्चस्तर पर पहुंचाया जा सकता है। बहुजन समाज को शासन की शक्ति मिले और उनका जीवन स्तर को ऊंचा करने के लिए संघर्ष की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि इसके लिए विदेशियों की मनुवादी पार्टियों की साजिशों को विफल करना जरूरी है।

मायावती ने कहा कि बीएसपी ही पहली पार्टी है, जिसने बाबासाहेब के आदर्शों और सिद्धांतों पर चलकर सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त की। मनुवादी पार्टियों को पराजित किया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब ने गरीब एवं कमजोर वर्गों की आर्थिक हालत के सुधार और सम्मानजनक जीवन के लिए उन्हें संविधानसम्मत अधिकारों को दिलाने के लिए संघर्ष किया।

बसपा प्रमुख ने कहा कि बाबसाहेब के जिम्मेदारी एवं संघर्ष की गाथा किसी से छिपी नहीं है। दुख की बात यह है कि बाबासाहेब को भारत रत्न देने वाली पार्टी ने सत्ता की मास्टर चाबी को छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर यह सवाल उठता है कि जब राजनीतिक ताकत नहीं होगी, तो संविधान की शक्ति का प्रयोग भी कैसे होगा?

इस मौके पर मायावती ने स्पष्ट कहा कि बाबा साहेब को केवल पुष्पांजलि देना काफी नहीं, बल्कि उनके दिखाए रास्ते पर चलकर समाज को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि देश में आज भी सामाजिक और आर्थिक विषमता व्याप्त है, और इस व्यवस्था को बदलने के लिए बहुजन समाज को राजनीतिक रूप से जागरूक और सक्रिय होना होगा।

बीएसपी सुप्रीमो ने विरोधी पार्टियों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि आज भी देश में संविधान की मूल भावना के अनुसार शासन नहीं हो रहा है। जातिवाद, साम्प्रदायिकता और पूंजीवाद के सहारे लोगों को बांटने का काम हो रहा है। उन्होंने खासतौर पर भाजपा शासित राज्यों में दलितों और पिछड़ों की बदहाली और उपेक्षा का जिक्र किया।

मायावती के निर्देश पर बाबासाहेब की जयंती पर उत्तर प्रदेश समेत देशभर के सभी जिलों में विचार-सम्मेलन आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में बाबा साहेब के संघर्षों, आदर्शों और उनके स्थापित संस्थानों के संरक्षण एवं विकास की जरूरत पर चर्चा की गई। लखनऊ स्थित डॉ. अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, गोमतीनगर, और पार्टी के केंद्रीय कार्यालय पर भव्य कार्यक्रम आयोजित हुए।

कार्यक्रमों में पार्टी पदाधिकारियों ने युवाओं से बाबा साहेब के जीवन से प्रेरणा लेकर मिशनरी सोच और आत्म-सम्मान के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया। उपस्थित जनसमूह ने बाबा साहेब के चित्र और प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मायावती ने अंत में कहा कि बहुजन समाज के संवैधानिक अधिकारों और सम्मानजनक जीवन के लिए जरूरी है कि बीएसपी को मजबूत किया जाए। बसपा प्रमुख ने हर प्रकार के चुनावों में बसपा का हर स्तर पर समर्थन किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यही बाबासाहेब के सपनों का भारत बनाने की दिशा में पहला और निर्णायक कदम होगा।

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