
पूर्व गोवा मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर, जिन्हें “मिस्टर क्लीन” के नाम से भी जाना जाता था, का राजनीतिक सफर बहुत ही प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण रहा। उनकी प्रतिष्ठा उनके ईमानदार और पारदर्शी नेतृत्व के कारण बनी, जिसे उन्होंने अपनी राजनीति और प्रशासनिक कार्यों में हमेशा प्राथमिकता दी। उनकी जयंती पर हम उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
मनोहर पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर 1955 को गोवा के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मुंबई से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनके इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि ने उन्हें समस्या हल करने की कुशलता और तार्किक दृष्टिकोण से लैस किया, जो उनके बाद के राजनीतिक जीवन में काम आया।
राजनीतिक सफर:
मनोहर पर्रिकर ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने के बाद अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। 1994 में गोवा विधानसभा के सदस्य के रूप में उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ। वे गोवा में BJP के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे और 2001 में गोवा के मुख्यमंत्री बने। वे गोवा के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे और उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
“मिस्टर क्लीन” की छवि:
मनोहर पर्रिकर को “मिस्टर क्लीन” के रूप में जाना जाता था क्योंकि उनकी छवि एक ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त नेता की थी। उन्होंने हमेशा अपनी नीतियों में पारदर्शिता और इंटेग्रिटी को प्राथमिकता दी। उनके कार्यकाल में गोवा में सरकारी खजाने का बेहतर प्रबंधन हुआ और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए।
रक्षा मंत्री के रूप में योगदान:
2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार में वह भारत के रक्षा मंत्री बने। रक्षा मंत्रालय में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारतीय सेना को मजबूत करने, रक्षा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया को तेज करने और सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए कई सुधार किए। उन्होंने भारतीय सुरक्षा क्षेत्र को और भी सशक्त बनाने के लिए काम किया।
स्वास्थ्य समस्या और अंतिम समय:
मनोहर पर्रिकर लंबे समय तक कैंसर से जूझ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने कार्यों में कोई कमी नहीं आने दी। 2019 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी छवि एक ईमानदार और समर्पित नेता के रूप में हमेशा जीवित रहेगी।
मनोहर पर्रिकर का राजनीतिक सफर न केवल गोवा बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी योजनाओं, नीतियों और व्यक्तित्व के कारण उन्हें आज भी याद किया जाता है।