गोरखपुर। रामलला का दर्शन आसान होगा। गोरखपुर से अयोध्या के बीच जल्द नई मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू ट्रेन) का संचालन शुरू हो जाएगा। शुरुआत में गोरखपुर से अयोध्या के बीच प्रतिदिन चलने वाली पैसेंजर ट्रेन (सवारी गाड़ी) की जगह मेमू चलाने की तैयारी है। गोरखपुर से अयोध्या के रास्ते वंदे भारत चलती है।
इसके अलावा गोरखपुर से अयोध्या के बीच प्रतिदिन एक पैसेंजर ट्रेन चलती है। 05425 पैसेंजर गोरखपुर से सुबह 07:10 बजे रवाना होकर दोपहर 01:00 बजे पहुंचती है। 05426 पैसेंजर अयोध्या से 01:45 बजे चलकर शाम 07:15 बजे गोरखपुर पहुंचती है। इसी पैसेंजर की जगह मेमू चलाने की तैयारी है। यथाशीघ्र घोषणा कर दी जाएगी।
22 जनवरी को रामलला के विराजमान होने के बाद अयोध्या पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन स्पेशल के रूप में कई मेमू ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है। टाइम टेबल को लेकर मंथन चल रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे के पास आठ कोच वाली 12 मेमू ट्रेनें हैं। अधिकतर वाराणसी मंडल के विभिन्न रूटों पर चल रही हैं अभी और कई मेमू ट्रेनों के मिलने की संभावना है।
जानकारों का कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे के 100 प्रतिशत रेलमार्गों का विद्युतीकरण होने के बाद रेलवे प्रशासन ने पैसेंजर और डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) ट्रेनों की जगह मेमू चलाने की योजना तैयार की है। डेमू में आए दिन आ रही खराबी और पैसेंजर ट्रेनों की बढ़ती लेटलतीफी के चलते मेमू की मांग भी बढ़ती जा रही है। मेमू के चलने से समय पालन तो दुरुस्त होगा ही यात्री सुविधाएं भी बढ़ जाएंगी। रेलवे प्रशासन ने 80 मेमू ट्रेनों का प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड को भेज दिया है।
अयोध्या वाली स्पेशल ट्रेनों का हब बनेगा गोरखपुर
पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय गोरखपुर श्रीराम मंदिर के लोकार्पण के बाद अयोध्या के लिए देशभर से चलने वाली सैकड़ों स्पेशल ट्रेनों का हब बनेगा। देशभर से पहुंचने वाली स्पेशल ट्रेनों को संचालित करने के अलावा ठहराव, मार्ग, धुलाई-सफाई, रखरखाव और यात्री सुविधाओं की तैयारी के मद्देनजर पूर्वोत्तर रेलवे ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। अयोध्या आने वाली ट्रेनों को रामघाट, कटरा और मनकापुर के अलावा गोंडा और ऐशबाग आदि स्टेशनों पर भी ठहराव प्रदान किया जाएगा।
बढ़ेगी रफ्तार, होगी समय की बचत
- मेमू के आगे व पीछे दोनों तरफ इंजन होता है।
- 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं।
- स्टेशनों पर नहीं बदलना पड़ता है ट्रेन का इंजन।
- चलने के साथ ही रफ्तार पकड़ लेती है यह ट्रेन।
- समय की होती है बचत, लाइन की बढ़ती है क्षमता।
- हाल्ट स्टेशनों पर भी आसान होता है चढ़ना-उतरना।
- सुविधा संपन्न होती हैं बोगियां, आरामदायक सफर।
- ऊर्जा की होती है बचत, संरक्षित होता है पर्यावरण।
- सप्ताह में 1 दिन ही होती है धुलाई-सफाई व मरम्मत।