
नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 25 पर्यटकों समेत 26 लोगों की हत्या के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (IWT) को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया है। इस बीच भारत सिंधु नदी पर दो स्टोरेज फैसिलिटी बना रहा है, जिससे उसे सिंधु नदी के पानी को इकट्ठा करने में मदद मिलेगी। इन सुविधाओं के तैयार होने के बाद सिंधु नदी के बहाव का नियंत्रण भारत के लिए आसान हो जाएगा और अबतक जिस तरह से पाकिस्तान सिंधु जल समझौते का एकतरफा फायदा उठाता रहा है, वह अतीत की बात हो जाएगी। दरअसल, यह एक धारणा बनी हुई है कि भारत ने अचानक ऐसा कदम उठाया है। बल्कि, सिंधु जल संधि को रोकने को लेकर पहले ही बता चुके हैं कि इसपर काम वर्षों से चल रहा है।
भारत जो दो स्टोरेज फैसिलिटी बना रहा है, उससे सिंधु नदी के पानी को जमा करके रखने में सहायता मिलेगी। पहलगाम हमले के बाद भारत ने अटारी सीमा को बंद करने और भारत में पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने जैसे कई गैर-सैन्य कदम भी उठाए हैं। सरकार सिंधु जल संधि पर फिर से बातचीत करने के लिए एक ढांचा भी तैयार कर रही है। सरकार सिंधु नदी प्रणाली पर दो नई जल भंडारण परियोजनाओं, पाकुलदुल परियोजना और बुरसर परियोजना पर काम में तेजी ला रही है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर, भारत अपनी आवश्यकता के अनुसार सिंधु नदी से जुड़े नदियों से अधिक पानी का भंडारण कर सकेगा और इसे राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में भी भेज सकेगा।
सिंधु जल संधि, जिस पर 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे, भारत-पाकिस्तान संबंधों में कई उतार-चढ़ावों के दौरान कभी भी निलंबित नहीं की गई थी। इस समझौते के तहत, पूर्वी नदियों – सतलुज, ब्यास और रावी का लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी भारत को बिना किसी रोक-टोक के उपयोग के लिए आवंटित किया गया है। पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब का लगभग 135 MAF पानी ज्यादातर पाकिस्तान को दिया गया है।
सरकार ने संधि को रद्द करने से दो साल पहले ही इस पर फिर से बातचीत करने की तैयारी शुरू कर दी थी। पाकुलदुल परियोजना का निर्माण तेजी से चल रहा है, जबकि बुरसर परियोजना योजना के अंतिम चरण में है। पाकिस्तान की 85 प्रतिशत कृषि अर्थव्यवस्था पूरी तरह से सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। इसलिए पाकिस्तान ने इस संधि के निलंबन को ‘युद्ध का कार्य’ कहा है।
जवाब में, पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते सहित दोनों देशों के बीच सभी समझौतों को निलंबित करने की धमकी दी है। शिमला समझौता जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में नियंत्रण रेखा को मान्य करता है। पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग में भारतीय राजनयिक कर्मचारियों की संख्या भी कम कर दी है, भारतीय उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है, वाघा सीमा चौकी की तरफ से नाकाबंदी कर दी है और इस्लामाबाद में भारतीय रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को देश छोड़ने के लिए कहा है।
सिंधु जल संधि के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों का पानी इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है। पश्चिमी नदियों का पानी ज्यादातर पाकिस्तान के उपयोग के लिए है। लेकिन, भारत अब इन परियोजनाओं के बनने के बाद ज्यादा पानी स्टोर कर पाएगा और उसे दूसरे राज्यों में भी भेज पाएगा। पाकिस्तान इस फैसले से नाराज है और उसने कई तरह की धमकियां दी हैं।
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