
नई दिल्ली। क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और उनकी पत्नी धनश्री वर्मा की तलाक याचिका पर अंतिम फैसला हो गया है। दोनों कानूनी तौर पर अलग हो गए हैं। परिवार अदालत ने यह फैसला सुना दिया है। बांद्रा के फैमिली कोर्ट ने दोनों का तलाक मंजूर कर लिया है। युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा ने दिसंबर, 2020 में शादी की थी, मगर दोनों जून, 2022 से अलग रह रहे हैं। उन्होंने फैमिली कोर्ट में सहमति से संयुक्त तलाक की याचिका दायर की थी। इसमें दोनों ने 6 महीने की कूलिंग ऑफ पीरियड से छूट की मांग की थी। जानते हैं हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक के क्या आधार हो सकते हैं। क्या होता है कूलिंग ऑफ पीरियड यह भी जानते हैं।
दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें चहल और धनश्री के तलाक के लिए 6 महीने के अनिवार्य कूलिंग-ऑफ पीरियड को छोड़ने से इनकार किया गया था। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट को आदेश दिया था कि वो तलाक की याचिका पर अंतिम फैसला सुनाए। ऐसी मांग इसलिए की गई है ताकि चहल की आईपीएल में भागीदारी प्रभावित न हो। अब बांद्रा के फैमिली कोर्ट ने तलाक पर आधिकारिक रूप से मुहर लगा दी।
युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा जून 2022 से अलग रह रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस बात को ध्यान में रखा कि दंपती दो साल से अधिक समय से अलग रह रहे थे और उन्होंने मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान दायर गुजारा भत्ता के भुगतान पर सहमति शर्तों में निर्धारित शर्तों का पालन किया था। फैमिली कोर्ट के विवाह परामर्शदाता ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया है कि मध्यस्थता समझौते का आंशिक अनुपालन हुआ है।
दरअसल चहल ने सहमित शर्तों के अनुसार धनश्री वर्मा को 4.75 करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने पर सहमति व्यक्त की थी। इसमें से अबतक 2.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। हालांकि फैमिली कोर्ट ने बाकी बची हुई राशि के भुगतान न किए जाने का हवाला दिया और कूलिंग ऑफ अवधि को माफ करने से इनकार कर दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने इसपर कहा कि दंपत्ती ने सहमति शर्तों का पालन किया और यह स्पष्ट है कि दोनों पक्षों ने अपने बीच संभी लंबित मुद्दों सहित अपने मतभेदों को वास्तव में सुलझा लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत के अनुसार, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 तलाक के बारे में है। इसके तहत अगर पति-पत्नी के बीच कोई ऐसा विवाद हो जाता है, जिसमें सुधार या ठीक करने की गुंजाइश न रह जाए और दोनों का एक एक साथ रहना भी मुश्किल हो जाए तो ऐसे मामलों में पति और पत्नी को कानूनी तौर पर अलग होने यानी तलाक लेने का अधिकार है। सहमति से तलाक लेने के मामले में पति-पत्नी को साल भर तक अलग रहना होता है और फिर दूसरे मोशन में 6 महीने का कूलिंग ऑफ पीरियड बिताना होता है। इसमें यह देखा जाता है कि शायद दोनों का रिश्ता फिर से बहाल हो जाए।
परिवार अदालत में दोनों ने कहा था कि वे पिछले 18 महीनों से अलग रह रहे थे। जब उनसे अलग होने के कारण के बारे में पूछा गया, तो चहल और धनश्री ने मुख्य वजह कंपैटिबिलिटी बताई। अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि यह कंपैटिबिलिटी शादीशुदा लाइफ ठीक नहीं होना है। दोनों के बीच सहमति न बन पाना और साथ न रह पाना भी इसका मतलब होता है।