एंडोमेट्रियोसिस के कारण बढ़ रहा मिसकैरेज का खतरा

हर एक महिला के लिए मां बनाने को सौभाग्य किसी खूबसूरत पल कम नहीं होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हर एर महिला अपना खास ध्यान रखती है, कहीं उसका बच्चे को नुकसान न हो जाए। हालांकि, बार-बार कुछ ऐसी स्थिति आई जाती है जिससे दिक्कतें आने लगती है और मिसकैरेज का खतरा बढ़ने लगता है। एंडोमेट्रियोसिस ऐसी ही स्थिति है, जो गर्भधारण को प्रभावित करता है। यह मिसकैरेज के खतरे को भी कम करती है। ऐसी कई महिलाएं जिनको इस बारे में  खासा जानकारी होती है।

आपको बता दें कि, एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें यूटरस के अंदर और बाहर असामान्य रुप से टिशू बढ़ने लगते हैं। इस बीमारी से 75 से 79 फीसदी महिलाएं इससे पीड़ित होती हैं। इस स्थिति में गर्भाशय में सूजन और भी कई तरह की जटलिताएं पैदा होती है। बता दें कि, यह सूजन ओवम यानी अंडाणु या एंब्रियो यानी भ्रूण को यूटरस की वॉल में इंप्लांट होने से रोकती है, जिससे प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लकेशन आने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। एंडोमेट्रियोसिस होने से गर्भाशय में स्कार बन सकते हैं, जो भ्रूण को सही से चिपकने नहीं देते हैं और इस वजह से मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, इससे हार्मोनल असुंतलन भी पैदा हो जाता है। जिससे शुरुआती ट्राइमेस्टर में मिसकैरेज की संभावना अधिक हो जाती है।

समय-समय पर अपनी गाइनी से मिलते रहें। एंटी इंफ्लेमेटरी डाइट लें। हार्मोनल इंबैलेंस को मैनेज करने के लिए अच्छी नींद जरुर लें। मेडिटेशन और एक्सरसाइज के जरिए स्ट्रेस मैनेज करें। जब जरुरी हो तो कुछ मामलों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से एंडोमेट्रियोसिस के टिशू को हटाया जाता है।

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