
लखनऊ। रहमानखेड़ा और आसपास के इलाकों में बाघ के द्वारा जानवरों का शिकार किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है, जिससे इलाके के ग्रामीणों में दहशत और बढ़ गई है। अब तक इस बाघ ने आठ जानवरों की जान ली है, और इसको पकड़ने में वन महकमा नाकाम साबित हो रहा है। काकोरी क्षेत्र में बाघ के पगचिह्न और उसकी मूवमेंट से स्थिति और गंभीर हो गई है। इस स्थिति ने इलाके में भय का माहौल बना दिया है, और ग्रामीणों की चिंता बढ़ती जा रही है, क्योंकि बाघ की सक्रियता से उनकी सुरक्षा खतरे में है।
ग्रामीणों का कहना है कि बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की पूरी टीम लगी हुई है, और दूसरे जिलों से आला अधिकारियों को भी बुलाकर निगरानी कड़ी की गई है। मचान से निगरानी रखी जा रही है, पिंजरे लगाए गए हैं और यहां तक कि पड़वा भी बांध दिया गया है। इसके बावजूद बाघ लगातार गायों को निशाना बना रहा है। खेतों की ओर न जाने से नुकसान और बढ़ रहा है।
इस बीच दुधवा नेशनल पार्क से विशेष रूप से लाई गई हथिनियां सुलोचना और डायना छठे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तैयार हैं। महावतों के अनुसार, 35 वर्षीय सुलोचना पहले भी कई सफल ऑपरेशनों में शामिल रही है। दोनों हथिनियां पगचिह्नों के आधार पर बाघ की लोकेशन का पता लगाकर ट्रैंकुलाइजेशन में मदद करेंगी। आज शनिवार से इनके जरिए कॉम्बिंग शुरू की जाएगी।
महावत मेहताब ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए दोनों हथिनियों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन हथिनियों के साथ महावत और डॉक्टर भी मौजूद रहेंगे। जब बाघ की लोकेशन का पता चलेगा, तो हथिनियां एक साथ खड़ी हो जाएंगी, ताकि डॉक्टर बाघ को ट्रैंकुलाइज कर सकें।
वन विभाग और डब्लूटीआई (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया) की टीम ने बाघ की घेराबंदी की और थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल करके निगरानी की। हालांकि, इस प्रयास में सफलता नहीं मिली। इसके बाद, बाघ की मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए दो वनकर्मियों को रेलवे लाइन पर तैनात किया गया, जहां बाघ की गतिविधियां देखी गई थीं। यह उपाय बाघ को ट्रैंकुलाइज करने और उसे सुरक्षित तरीके से पकड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है।