भारत और कनाडा के रिश्ते इस समय बेहद तनावपूर्ण स्थिति में हैं, खासकर खालिस्तान और निज्जर हत्याकांड के संदर्भ में। भारत ने कनाडा से अपेक्षा की थी कि वह खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, लेकिन कनाडा इस मामले में लगातार असमर्थ रहा है। निज्जर हत्याकांड के बाद, दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। भारत ने कनाडा से सबूत मांगने की कोशिश की है, लेकिन कनाडा हर बार इस मामले में ठोस कार्रवाई करने में विफल रहा है।
कनाडा के प्रधानमंत्री ने प्रेस के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वे भारत के साथ सहयोग की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारत की तरफ से सहयोग नहीं मिल रहा। इस तरह के बयानों से स्थिति और जटिल होती जा रही है, और दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक वार की शुरुआत हो गई है।यह संकट केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के नागरिकों के बीच रिश्तों पर भी प्रभाव डाल सकता है।
इस विवाद की जटिलता और घटनाक्रम को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यहां कुछ प्रमुख बिंदुओं का संक्षेप में उल्लेख किया जा रहा है:
- विवाद की शुरुआत: 18 जून 2023 को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया कि वह इस हत्या में शामिल था। इससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई।
- हरदीप सिंह निज्जर का परिचय: निज्जर, जो पंजाब का निवासी था, 1990 के दशक में कनाडा चला गया था। वह खालिस्तान के लिए अलगाववादी गतिविधियों में संलग्न था और भारत ने उसे आतंकवादी घोषित किया था।
- पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट: 13 अक्टूबर 2024 को कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त और अन्य अधिकारियों को ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ करार दिया, जिससे इनकी भूमिका को संदिग्ध माना गया।
- विवाद का बढ़ना: 14 अक्टूबर को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि कनाडा में किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- भारतीय अधिकारियों पर आरोप: कनाडा के पुलिस कमिश्नर ने आरोप लगाया कि भारतीय राजनयिकों ने गुप्त तरीके से जानकारी इकट्ठा की और स्थानीय एजेंटों का उपयोग किया।
- लॉरेंस बिश्नोई का नाम: कनाडा की पुलिस ने आरोप लगाया कि भारत लॉरेंस बिश्नोई गैंग का इस्तेमाल कर कनाडा में अपराध करवा रहा है, जिससे खालिस्तानियों को निशाना बनाया जा रहा है।
- भारत का पलटवार: भारत ने कनाडा के राजदूत को समन किया और अपने छह शीर्ष अधिकारियों को कनाडा छोड़ने के लिए कहा, यह बताते हुए कि कनाडा द्वारा लगाए गए आरोप अस्वीकार्य हैं।
यह विवाद निश्चित रूप से भारत और कनाडा के बीच रिश्तों को प्रभावित करेगा, और इसके कई संभावित परिणाम हो सकते हैं:
- आगे की स्थिति:
- कनाडा, NATO और G7 का सदस्य है, जबकि भारत एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है। इसलिए, यह विवाद न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि अन्य अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी असर डाल सकता है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा पर सबूत पेश करने का दबाव बढ़ सकता है, और मामला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जा सकता है। इससे कुछ देशों के हस्तक्षेप के जरिए दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में सुधार की कोशिशें हो सकती हैं।
- G7 और Five Eyes का रुख:
- कनाडा ने जी7 और फाइव आइज के सामने इस मामले को उठाने का इरादा किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें से अधिकांश देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। ऐसे में कोई भी देश भारत को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगा।
- वीजा सेवाओं पर असर:
- इस राजनयिक संकट के कारण वीजा आवेदकों के लिए अनिश्चितता बढ़ गई है। भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को वापस जाने के लिए कहा है, जबकि कनाडा ने भारत के राजनयिकों को निष्कासित किया है।
- इस तनाव का वीजा प्रक्रियाओं पर भी असर पड़ सकता है, जिससे वीजा की संख्या में कमी आ सकती है। इससे दोनों देशों के बीच यात्रा और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
यह स्थिति भविष्य में और अधिक जटिल हो सकती है, और वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में भी बदलाव ला सकती है।