
केंद्रीय मंत्री एस. पी. सिंह बघेल का यह बयान ग्रामीण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जिसमें उन्होंने पंचायतों और जमीनी स्तर पर सेवाओं के वितरण को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका यह कहना कि “बेहतर सेवा वितरण तथा सुगम जीवनयापन से गांवों से हो रहा पलायन रुकेगा”, इस बात को रेखांकित करता है कि अगर गांवों में बुनियादी सेवाओं और सुविधाओं को सुलभ, प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण बनाया जाए, तो ग्रामीण युवाओं का शहरों की ओर बढ़ता पलायन रोका जा सकता है। ‘डिजिटल’ सशक्तीकरण और अभिनव सेवा वितरण के माध्यम से हम ग्रामीण विकास को एक सहयोगात्मक, समावेशी यात्रा के रूप में फिर से परिकल्पित कर रहे हैं।’’ राज्य मंत्री ने ग्रामीण विकास में पंचायतों की परिवर्तनकारी भूमिका पर जोर दिया।
वास्तव में, ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार बुनियादी सुविधाओं की कमी, जैसे कि अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार के अवसर, सस्ते और प्रभावी इंफ्रास्ट्रक्चर, आदि, पलायन का मुख्य कारण बनती हैं। जब लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं, तो इसका परिणाम यह होता है कि गांवों की युवा शक्ति और संसाधन प्रभावित होते हैं।एस. पी. सिंह बघेल का यह सुझाव कि “जमीनी स्तर पर सेवा प्रदायगी को बढ़ावा देना” और “जीवन आसान बनाना”—इन पहलुओं से स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार पंचायतों और ग्रामीण प्रशासन को सशक्त बनाने पर ध्यान दे रही है। यह न केवल ग्रामीण विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि एक स्थिर और समृद्ध ग्रामीण समाज के निर्माण में भी मदद करेगा।
साथ ही, अगर यह नीति सही तरीके से लागू होती है, तो यह न सिर्फ पलायन को रोकने में सहायक हो सकती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता, कृषि, और अन्य उद्योगों के लिए नए अवसर भी उत्पन्न कर सकती है। साथ ही, अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा के अवसर भी ग्रामीणों की जीवन-शैली में सुधार ला सकते हैं।यह कदम बुनियादी रूप से “गांवों में आत्मनिर्भरता और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति” के तौर पर देखा जा सकता है, जो देश की समग्र प्रगति के लिए बेहद आवश्यक है।