सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती 

आज, 15 नवंबर को गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती (गुरु पर्व) धूमधाम से मनाई जा रही है। यह दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की उपासना और उनके संदेशों का उत्सव होता है। कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व को गुरु नानक प्रकाश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है।गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में हुआ था और उन्होंने अपने जीवन में मानवता, समाज सुधार, समानता और भक्ति के महत्व को फैलाया। उनका जीवन सिद्धांत था कि ईश्वर एक है, और उनका संदेश था कि सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से देखा जाए, चाहे उनका जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। गुरु नानक ने यह भी सिखाया कि सच्चा मार्ग केवल भक्ति और सेवा के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, न कि पाखंड और बाहरी दिखावे से।

गुरु नानक देव जी के प्रमुख सिद्धांत:

  1. ईश्वर की एकता (Ek Onkar) – गुरु नानक देव जी ने दुनिया को बताया कि ईश्वर एक है और सभी धर्मों में वही एक सर्वोत्तम शक्ति है।
  2. समानता और भाईचारा – उन्होंने जाति, धर्म और लिंग के भेद को नकारते हुए सभी मनुष्यों को समान माना।
  3. कर्म का महत्व – गुरु नानक देव जी के अनुसार, जीवन में अच्छे कर्म और सेवा का महत्व है।
  4. सेवा और सच्चाई – गुरु नानक ने यह सिखाया कि जीवन में सच्चाई और सेवा से ही परमात्मा की प्राप्ति होती है।

गुरु नानक जयंती के दिन, सिख समुदाय नमज (प्रार्थना) और कीर्तन (धार्मिक संगीत) करते हैं। गुरुद्वारों में विशेष पूजा-अर्चना और अरदास (प्रार्थना) होती है, और प्रकाश पर्व के रूप में गुरु नानक जी की शिक्षाओं का प्रचार किया जाता है। इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाने के लिए अमृत संचार, संगत-समागम, और लंगर का आयोजन भी किया जाता है। गुरु नानक देव जी का संदेश आज भी लोगों के जीवन में गहरी छाप छोड़ता है और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने से शांति, भाईचारे और एकता का संदेश फैलता है।

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