भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आयुर्वेद को समग्र जीवनशैली के लिए आवश्यक बताया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि उनका आयुर्वेद से जुड़ाव उस समय शुरू हुआ जब उन्हें कोविड-19 हुआ। इस दौरान, उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और समग्र दृष्टिकोण पर भरोसा किया, जिससे उन्हें ठीक होने में मदद मिली।
चंद्रचूड़ ने आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। उनकी यह टिप्पणी आयुर्वेद के प्रति बढ़ती रुचि और इसके स्वास्थ्य लाभों को स्वीकार करने के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।यह दृष्टिकोण न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं में भी आयुर्वेद के योगदान को दर्शाता है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आयुर्वेद के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए उन्होंने एलोपैथिक दवाओं का सेवन नहीं किया। उन्होंने पूरी तरह से आयुर्वेदिक उपचार और समग्र दृष्टिकोण पर भरोसा किया, जिससे आयुर्वेद की उपचार क्षमता में उनका विश्वास और भी मजबूत हुआ।
चंद्रचूड़ ने निवारक स्वास्थ्य सेवा के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि आयुर्वेद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है। उनका यह दृष्टिकोण आयुर्वेद को एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करता है, जो समग्र जीवनशैली को समर्थन देता है।