नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निष्प्रभावी करने के बाद यह पहला आम चुनाव होगा, जो इस साल 30 सितंबर तक यहां विधानसभा चुनाव कराने की दशा और दिशा भी तय करेगा। निर्वाचन आयोग के लिए इस राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव कराना बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए आयोग ने बड़े स्तर पर तैयारियां की हैं। बड़ी तादाद में राज्य पुलिस के साथ केंद्रीय पुलिस बल की भी तैनाती की जा रही है। यहां 85 साल और इससे ज्यादा के वोटरों में महिलाएं अधिक हैं।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों और अन्य खतरों को देखते हुए लोकसभा चुनाव के सभ उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सुरक्षा घेरे में रहेंगे। चाहे वे बड़े दल के उम्मीदवार हों या निर्दलीय। हर उम्मीदवार की सुरक्षा के लिए करीब 20 जवान तैनात होंगे। ताकि प्रचार और अन्य चुनावी गतिविधियों में वे बेहिचक हिस्सा ले सकें। इस बारे में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को कम से कम दो सेक्शन फोर्स देनी पड़ती हैं।
शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की मदद को तीन हेलिकॉप्टर भी तैनात रहेंगे। इनमें एक हेलिकॉप्टर एयर एंबुलेंस के रूप में इस्तेमाल होगा। दूसरा हेलिकॉप्टर चुनावी डयूटी में लगे कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने समेत कानून-व्यव्स्था की निगरानी करेगा। तीसरा हेलिकॉप्टर बैकअप के लिए रखा जाएगा। एयर एंबुलेंस की सेवा यहां मतदान के सभी चरणों के लिए रहेगी। दूसरे हेलिकॉप्टर को पहले चरण के मतदान से तीन दिन पहले ही तैयार किया जाएगा। तीनों हेलिकॉप्टरों को चुनिंदा हेलीपैड पर अलर्ट मोड पर रखा जाएगा।
जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में पांच लोकसभा सीटें हैं। इन सभी सीटों के लिए चुनाव अलग-अलग चरणों में हैं। उधमपुर में 19 अप्रैल को, जम्मू पर 26 अप्रैल को, अनंतनाग-राजौरी सीट पर 7 मई, श्रीनगर में 13 मई और बारामूला सीट पर 20 मई को चुनाव होंगे।