यूपी में अब दो साल तक नहीं गठित हो सकेंगे नए निकाय

लखनऊ। प्रदेश में अब अगले दो साल तक नए शहरी निकायों का गठन या विस्तार नहीं हो सकेगा। पंचायत चुनाव के लिए ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होने के कारण नए निकायों के गठन की प्रक्रिया पहले ही रोक दी गई है। वहीं, 31 दिसंबर के बाद जनगणना कार्य शुरू होने के चलते प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर रोक रहेगी। ऐसे में मई-जून 2027 के ही बाद ही निकायों के गठन की राह खुलने के आसार हैं।

यूपी में अगले साल की शुरूआत में पंचायत चुनाव होने हैं। 2021 में हुए पंचायत चुनाव के बाद पांच सालों में शहरी निकायों का गठन व विस्तार हुआ है। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा शहरी क्षेत्रों में शामिल हुआ है। यही कारण है कि पंचायतों के परिसीमन व पुनर्गठन के लिए कहा गया है, जिससे जो क्षेत्र शहरी में आ गए हैं, उन्हें अधिसूचना से बाहर किया जा सके और बचे व कटे क्षेत्रों का पुनर्गठन कर उसे प्रशासनिक स्वरूप दिया जा सके। ऐसे में नए निकायों के गठन का रास्ता पहले ही बंद हो गया है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने जनगणना 2026 की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत 31 दिसंबर के बाद किसी भी नई प्रशासनिक इकाई का गठन नहीं हो सकेगा। यह रोक 1 मार्च 2027 तक जारी रहेगी। इसके बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए, शहरी निकायों के गठन या विस्तार की संभावना 2027 की दूसरी छमाही में ही बनेगी।

पहले जनगणना का काम मई 2020 से शुरू होना था। उस समय 31 दिसंबर 2019 का कटऑफ नए प्रशासनिक इकाइयों के गठन के लिए रखा गया था। इसका असर यह था कि प्रदेश में अकेले दिसंबर महीने में ही 99 अधिसूचनाएं शहरी निकायों के गठन और विस्तार की जारी हुई थी। लगभग सभी नगर निगमों का सीमा विस्तार ही हुआ था। अकेले प्रयागराज नगर निगम में 202 गांव और लखनऊ में 88 गांव नगर निगम की सीमा में शामिल हुए थे। हालांकि, बाद में कोविड-2019 की वैश्विक आपदा के कारण जनगणना स्थगित करनी पड़ी। अब 1 अप्रैल 2026 से इसकी प्रक्रिया फिर शुरू होने जा रही है।

एक जनवरी से जनगणना विभाग प्रशासनिक मैपिंग की प्रक्रिया प्रांरभ करेगा। इसके तहत आखिरी जनगणना के समय फ्रीज की कई प्रशासनिक सीमा (31 दिसंबर 2009) और 31 दिसंबर 2025 के बीच जिले, तहसील, निकाय, राजस्व ग्राम सहित अन्य प्रशासनिक इकाइयों में हुए बदलाव को चिह्नित किया जाएगा। इसमें भौगोलिक बदलाव के साथ ही नामों में हुआ बदलाव भी शामिल है। इसके अलावा उन क्षेत्रों को अलग से सेंसस टाउन का दर्जा दिया जाएगा जहां की न्यूनतम आबादी 5,000 है और उसमें 75% आबादी गैर-कृषि कार्यों में लगी हुई है। वहीं, ऐसे क्षेत्र जो पूरी तरह से सुरक्षा बलों की निगरानी या नियंत्रण में हैं उनको भी ‘स्पेशल चार्ज’ का दर्जा दिया जाएगा।

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