
पौष्टिक सब्जियों में लौकी का नाम काफी ऊपर रखा जाता है। अब भले ही बच्चे इसका नाम सुनते ही मुंह बना लेते हैं लेकिन जब लौकी के कोफ्ते या इससे कुछ स्पेशल बनाया जाता है तो खा भी लेते हैं। सेहतमंद सब्जी अगर घर की उगी हो तो इसका गुण भी बढ़ जाते हैं। इसलिए अक्सर लोग घर की छत या बगीचे में लौकी की बेल लगा लेते हैं।
अब किसी पौधे को ग्रो करना तो आसान होता है लेकिन उसका विकास करना थोड़ा मुश्किल लगता है। जब फल वाले पौधे की बात हो तो चिंता और भी बढ़ जाती है। बेल में लौकी ना उगने से लोग परेशान होते हैं। वजह और समाधान दोनों बताया है, साथ ही मेल-फीमेल फूलो की जानकारी भी दी है। जितनी भी बेल वाली सब्जी होती हैं उनमें मेल और फीमेल दो तरह के फूल आते हैं। फीमेल फूल में, फ्लावर से पहले एक गांठ जैसा बना रहता है जिसे आप छोटी सी लौकी के तौर पर समझ सकते हैं। पौधे से जुड़ी डंडी, छोटी लौकी उसके बाद सफेद रंग का फूल दिखता है। जबकि मेल फ्लावर में डंडी के बाद फूल होता है, इसमें छोटी लौकी नहीं होती है।
अब आपके मन में सबसे पहले सवाल यही आ रहा होगा कि जब मेल फ्लावर में गांठ यानी छोटी लौकी दिखती ही नहीं जिसे आगे चलकर बढ़ा होना है तो इसकी क्या जरूरत है। ऐसे में मेल फ्लावर सिर्फ पॉलिनेशन के लिए होता है। एक बार जब फीमेल फ्लावर में पॉलिनेशन हो जाता है तो यह सूख जाता है। अक्सर फीमेल फूल सूख जाते हैं जो कि आगे चलकर बड़ी लौकी बनने वाले थे। लोगों को लगता है इंफेक्शन या किसी दूसरी वजह से सूख रहे हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण पॉलिनेशन का ना होना है। दरअसल लौकी का फूल शाम से खिलकर सुबह तक रहता है उसके बाद बंद हो जाता है। जबकि तितती, मधुमक्खी पॉलिनेटर, पॉलिनेशन की प्रक्रिया रात में कम करते हैं इसलिए फूल सूख जाता है।
अब बात आती है कि अगर पॉलिनेशन नहीं हो पा रहा है तो क्या करें। इसका सबसे अच्छा ऑप्शन है कि पॉलिनेटर पर निर्भर ना होकर खुद ही पॉलिनेशन करें। मैन्युअल पॉलिनेशन के लिए कॉटन स्टिक की मदद से मेल फूल से पराग लेकर फीमेल फूल में ट्रांसफर कर दीजिए। इस तरह आपके फूल सूखेंगे नहीं और ज्यादा से ज्यादा लौकी उगाने में मदद मिलेगी।