
12 मार्च 2025 को नो स्मोकिंग डे है। लोगों को लगता है कि तंबाकू और उसके उत्पाद केवल फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं। लेकिन इसके अलावा भी कई सारे खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं, जो आपके शरीर को डैमेज कर सकते हैं। भारत में धूम्रपान एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, खासकर युवाओं और महिलाओं में इसकी बढ़ती आदत चिंता का विषय है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में दुनिया के 12% धूम्रपान करने वाले लोग हैं और हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। देश में 25% पुरुष और 13-15% महिलाएं धूम्रपान करती हैं, जबकि 16 साल से कम उम्र के 13.5% छात्र भी तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। धूम्रपान रहित तंबाकू (जैसे गुटखा, पान मसाला) भी भारत में काफी प्रचलित है।
सिगरेट का धुआं शरीर में हजारों हानिकारक रसायन छोड़ता है, जो फेफड़ों में जलन और सूजन पैदा करते हैं। इससे ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी हो सकती है और फेफड़ों के टिश्यू में घाव बन सकते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है। तंबाकू का धुआं सांस की नली की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे असामान्य वृद्धि (लीजन) होती है। धीरे-धीरे ये घाव कैंसर का रूप ले सकते हैं। शोध बताते हैं कि 85% से अधिक फेफड़ों के कैंसर के मामलों का कारण धूम्रपान है।
धूम्रपान शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है, जिससे फेफड़ों में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे शरीर की कैंसर से बचाव करने की ताकत भी घट जाती है। धूम्रपान करने वालों में डिस्प्लासिया (असामान्य कोशिका वृद्धि) और ल्यूकोप्लाकिया (मुंह और गले में सफेद मोटे धब्बे) जैसी बीमारियां ज्यादा देखी जाती हैं। ये आगे चलकर गंभीर कैंसर में बदल सकती हैं।
लगातार धुएं के संपर्क में रहने से फेफड़ो में सूजन बनी रहती है, जिससे टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। इससे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी बीमारियां हो सकती हैं और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी नुकसान पहुंचाता है। तंबाकू के कैंसरकारक तत्व (carcinogens) खून में मिल जाते हैं, जिससे गले, ग्रासनली और मूत्राशय जैसे अंगों में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
तंबाकू का धुआं फेफड़ों की कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाता है और शरीर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को ठीक करने की क्षमता को कमजोर करता है। इससे कोशिकाएं कैंसर में बदलने लगती हैं। धूम्रपान श्वसन नलियों में मौजूद छोटे बालों (cilia) को नष्ट कर देता है, जो फेफड़ों को साफ रखने में मदद करते हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और फेफड़ों में कैंसर पैदा करने वाले तत्वों के लिए अनुकूल माहौल बन जाता है।