
नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन की टेंशन बढ़ने वाली है। दरअसलभारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है। रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है। पुराने सोवियत विमानों के रिटायर होने और नए विमानों की कमी के चलते वायुसेना के स्क्वाड्रनों की संख्या घट रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हैं। इसका बजट अरबों डॉलर का होगा और इसमें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी। यह खबर इसलिए भी अहम है क्योंकि 1965 के बाद से वायुसेना के स्क्वाड्रन सबसे कम संख्या में हैं।
वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा है कि इन नए विमानों का निर्माण C 295 मॉडल पर होना चाहिए। इस मॉडल के तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान बना रहे हैं। इसी तरह, कोई विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ मिलकर ये लड़ाकू विमान भारत में बनाएगी। इससे भारत में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और तकनीकी ज्ञान भी मिलेगा।
इस प्रतिस्पर्धा में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। बोइंग पहले ही महिंद्रा के साथ और लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ बातचीत कर चुकी है। हालांकि, लॉकहीड मार्टिन का F 35 विमान इस दौड़ में शामिल होने की संभावना कम है, क्योंकि भारत चाहता है कि ये विमान भारत में ही बनें और टेक्नीक का ट्रांसफर भी हो। फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने पहले ही एक प्रस्ताव भेजा है। उसने कहा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी। यह कंपनी भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए भी विमान बनाएगी। स्वीडन की कंपनी ‘साब’ का पहले अडानी डिफेंस के साथ समझौता था, लेकिन अब वह खत्म हो गया है। रूस भी अपने नए लड़ाकू विमानों की पेशकश करने को इच्छुक है। लेकिन, वायुसेना की जरूरतों को पूरा करना उनके लिए मुश्किल होगा। वायुसेना को चीन की चुनौती का सामना करने के लिए आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स वाले विमान चाहिए।
भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए नए लड़ाकू विमान खरीदना चाहती है। इसके लिए 114 नए बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (MRFA) विमानों की जरूरत बताई गई है। साथ ही, स्वदेशी LCA और AMCA विमान भी वायुसेना की ताकत बढ़ाएंगे। ये विमान कई तरह के काम कर सकते हैं, जैसे दुश्मन के विमानों को मार गिराना, जमीन पर हमला करना और निगरानी करना। वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा है कि इन विमानों का उत्पादन C 295 मॉडल पर होना चाहिए। C 295 मॉडल, सैन्य परिवहन विमान के उत्पादन का तरीका है जिसे एयरबस-टाटा मिलकर भारत में बना रहे हैं। इस मॉडल में एक विदेशी कंपनी, किसी भारतीय कंपनी के साथ मिलकर भारत में ही विमान बनाती है। इस प्रतियोगिता में कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं। अमेरिका से बोइंग अपने F/A 18 सुपर हॉर्नेट और लॉकहीड मार्टिन अपने F 21 विमान के साथ दौड़ में हैं। यूरोप से डसॉल्ट राफेल और साब ग्रिपेन विमानों के साथ मैदान में हैं। डसॉल्ट ने तो पहले ही प्रस्ताव भेज दिया है कि वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी।
यह प्रतियोगिता न सिर्फ वायुसेना के लिए बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग के लिए भी बहुत अहम है। इससे भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। देखना होगा कि कौन सी कंपनी इस बड़े सौदे को अपने नाम करती है। इस प्रतियोगिता का नतीजा भारत की रक्षा तैयारियों पर गहरा असर डालेगा।