शिक्षामित्रों के मानदेय के मामले में कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

प्रयागराज।  उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 1.25 लाख शिक्षा मित्रों के मानदेय को बढ़ाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने सरकार से यह जानने के लिए आदेश दिया है कि शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि के संबंध में अब तक क्या निर्णय लिया गया है।

उच्च न्यायालय ने 27 जनवरी तक सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने वाराणसी के विवेकानंद द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि की मांग की गई थी। 

इससे पहले, याचिकाकर्ता ने शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि को लेकर अदालत में याचिका दाखिल की थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करे, जो शिक्षा मित्रों के लिए सम्मानजनक मानदेय तय कर सके।

हालांकि, सरकार द्वारा समिति का गठन करने के बाद भी अब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया था। इस स्थिति को देखते हुए, याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर कर राज्य सरकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। राज्य सरकार के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि, सरकार के आदेश के तहत शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था।

इस समिति ने अपना रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में वित्तीय दृषटिकोन से प्रस्ताव भेजे गए हैं, जिन्हें वित्त विभाग के पास भेजा गया है। कोर्ट में राज्य सरकार के वकील ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार मानदेय बढ़ाने का मामला वित्तीय बोझ से जुड़ा हुआ है, और इसे देखते हुए सरकार को उचित कदम उठाने में समय लग रहा है। 

उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों की कुल संख्या लगभग 1.25 लाख है। वर्तमान समय में, प्रत्येक शिक्षा मित्र को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। शिक्षा मित्रों की सबसे बड़ी मांग यह है कि उनका मानदेय दोगुना किया जाए। इसके अलावा, वे समान कार्य के लिए समान वेतन की भी मांग कर रहे हैं। 

शिक्षामित्रों के इस मुद्दे को लेकर उनकी ओर से विभिन्न बार सरकार से इस संबंध में कदम उठाने की अपील की गई है। इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया के बिना, हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। कोर्ट ने 27 जनवरी तक सरकार से रिपोर्ट तलब की है, ताकि यह साफ हो सके कि शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि के मामले में क्या निर्णय लिया गया है और आगे क्या कदम उठाए जाने वाले हैं।

इस समय पर यदि सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, तो कोर्ट आगे की कार्रवाई करेगा। अभी तक, इस मामले में सभी पक्षों की ओर से महत्वपूर्ण जानकारी कोर्ट के सामने रखी जा चुकी है। अब हाईकोर्ट यह देखेगा कि राज्य सरकार और वित्त विभाग के द्वारा क्या कदम उठाए जाते हैं और इस मामले का समाधान कब तक हो सकता है।

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