
लेह। दुनियाभर में बसे भारतीयों के लिए भारतीय सेना द्वारा किए गए एक ऐतिहासिक कार्य ने भावनाओं को छू लिया है। भारतीय सेना ने 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पूर्वी लद्दाख सेक्टर के पैंगोंग झील के तट पर मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की है। यह इलाका चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित है, जो एक महत्वपूर्ण सैन्य रणनीतिक क्षेत्र है।
इस कदम से चीन की सीमा के पास छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित कर भारतीय सेना ने एक मजबूत संदेश दिया है। शिवाजी महाराज, जो मुगलों के खिलाफ अपनी वीरता और शौर्य के लिए प्रसिद्ध हैं, अब भारतीय सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। उनके नेतृत्व और साहस ने भारतीय जवानों को जोश और उत्साह प्रदान किया है। भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर द्वारा इस प्रतिमा का अनावरण किया गया।
इसके अलावा, भारतीय सेना की मराठा लाइट इंफेंट्री का युद्धघोष भी शिवाजी महाराज के नाम पर आधारित है — “बोल छत्रपति शिवाजी महाराज की जय”। यह कदम ना केवल भारतीय सेना की ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारतीय सैनिकों में छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और देशभक्ति की भावना अब भी जीवित है।
सेना की लेह स्थित 14 कोर ने कहा कि प्रतिमा के उद्घाटन ने भारतीय शासक की अटूट भावना का जश्न मनाया क्योंकि उनकी विरासत प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया, जिसे फायर एंड फ्यूरी कोर के नाम से जाना जाता है। 14 कोर ने कहा कि वीरता, दूरदर्शिता और अटूट न्याय के विशाल प्रतीक का उद्घाटन लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया।
यह आयोजन भारतीय शासक की अटूट भावना का जश्न मनाता है, जिनकी विरासत पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारत और चीन द्वारा डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो घर्षण बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के कुछ सप्ताह बाद हुआ, जिससे लगभग साढ़े चार साल से जारी सीमा गतिरोध समाप्त हो गया।