शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन देश सेवा से कभी पीछे नहीं हटे

आज, 28 नवंबर को हम शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी बहादुरी और वीरता के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना के एक बहादुर अधिकारी थे, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान की आहुति दी। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को नाइजीरिया में हुआ था, लेकिन उनका पालन-पोषण केरल के पुथुर में हुआ। वह अपने माता-पिता के इकलौते संतान थे। बचपन से ही उनका रुझान सेना में जाने की ओर था, और उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का संकल्प लिया। संदीप के लिए अपने देश की सेवा एक मिशन था, और उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का सर्वोत्तम उद्देश्य बना लिया।

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया को दहला दिया था। पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने मुंबई के प्रमुख स्थानों, जैसे ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, नरीमन हाउस, और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर हमला किया।

इस हमले के दौरान, भारतीय सेना के विशेष बल NSG (National Security Guard) को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भेजा गया। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, जो NSG के सदस्य थे, ताज होटल के अंदर फंसे हुए नागरिकों को बचाने के लिए होटल के भीतर घुसे। उस समय, वह पूरी निडरता और साहस के साथ आतंकवादियों का सामना कर रहे थे। उन्होंने कई आतंकवादियों को मार गिराया और अपने साथियों को बचाया, लेकिन खुद एक आतंकवादी की गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए।

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने अपनी शहादत से यह सिद्ध कर दिया कि उनका प्यार और समर्पण सिर्फ अपने देश के प्रति था, बल्कि वह अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों को बचाने के लिए अपनी पूरी शक्ति से लड़े। उनकी बहादुरी और बलिदान ने उन्हें भारतीय सेना और देशवासियों के दिलों में एक अमिट जगह दी।

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को मरणोपरांत अशोक चक्र जैसे सर्वोच्च सैन्य सम्मान से सम्मानित किया गया, जो उनकी बहादुरी और देश के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उनके नाम पर केरल में एक स्कूल का नाम रखा गया है, और उनकी शहादत के बाद कई अन्य जगहों पर उन्हें सम्मानित किया गया।

उनकी शहादत का हम सभी पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनकी वीरता और अदम्य साहस की कहानी ने न केवल देशवासियों को प्रेरित किया, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि भारतीय सेना अपने देश की रक्षा के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है।

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की शहादत यह साबित करती है कि देश सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले सैनिक असल हीरो होते हैं। 26/11 के हमले में उनका बलिदान हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा। आज, हम उनकी बहादुरी को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी शहादत को सलाम करते हैं। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जीवन हमें यह सिखाता है कि देश के प्रति निष्ठा, साहस और कर्तव्य पालन सबसे बड़ी बात होती है, और हमें कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए।

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