दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई बैठक में भारत और जर्मनी के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई, जिससे दोनों देशों के बीच दोस्ती को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए। इस दौरान, नवाचार और प्रौद्योगिकी पर एक रोडमैप के साथ-साथ रोजगार और श्रम के क्षेत्र में एक संयुक्त घोषणापत्र पर समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज से मुलाकात के दौरान वैश्विक संघर्षों, खासकर यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि युद्ध से समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता और देश शांति बहाली के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के बीच हाल की बैठक में भारत-जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया गया। मोदी ने चांसलर स्कोल्ज़ का भारत में स्वागत करते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में यह तीसरी बार है जब उन्हें भारत का दौरा करने का मौका मिला है। बैठक में दोनों नेताओं ने नवाचार, प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, और स्वच्छ ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों का आदान-प्रदान किया। मोदी ने जर्मनी की भारत पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति की सराहना की और इसे दोनों देशों के बीच साझेदारी को आधुनिक बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता और बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर भी चर्चा की। मोदी ने कहा कि भारत हमेशा से यह मानता है कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है और शांति बहाली में योगदान देने के लिए तैयार है। चांसलर स्कोल्ज़ ने भारत-जर्मनी के बीच सहयोग को अधिक मजबूत और सार्थक बताते हुए आर्थिक संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का समर्थन किया, जिससे दोनों पक्षों को लाभ होगा।
इस बैठक ने भारत और जर्मनी के बीच सहयोग के नए युग की ओर इशारा किया, जिसमें नवोन्मेष और स्थिरता को प्राथमिकता दी जा रही है। यह सहयोग दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।