संयुक्त राष्ट्र में उठाया सीएए का मुद्दा

संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस्लामाबाद के दूत द्वारा अयोध्या में राम मंदिर और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का मुद्दा उठाने के बाद भारत ने पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती करते हुए उसे ब्रोकन रिकॉर्ड बताया। यूएनजीए की पूर्ण बैठक के दौरान पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि पड़ोसी देश सीमित और गुमराह दृष्टिकोण के साथ दुखद रूप से स्थिर बने हुए हैं। बता दें कि पाक राजदूत मुनीर अकरम ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह और नागरिकता संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन का भी जिक्र किया। इस पर आपत्ति जताते हुए कंबोज ने कहा कि मेरे देश से संबंधित मामलों पर इस प्रतिनिधिमंडल के सीमित व गुमराह दृष्टिकोण से रूबरू होना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है। 

अकरम ने अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के साथ-साथ सीएए के हालिया कार्यान्वयन का संदर्भ दिया, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों – हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई – को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करेगा। कंबोज ने आगे कहा कि मेरे देश से संबंधित मामलों पर इस प्रतिनिधिमंडल के सीमित और गुमराह दृष्टिकोण को देखना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है, खासकर तब जब महासभा एक ऐसे मामले पर विचार करती है जो संपूर्ण सदस्यता से ज्ञान, गहराई और वैश्विक दृष्टिकोण की मांग करता है। शायद यह इस प्रतिनिधिमंडल की विशेषता नहीं है।

भारतीय दूत की टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘इस्लामोफोबिया से निपटने के उपायों’ पर एक प्रस्ताव पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए एक बयान देते समय की गई थी। महासभा ने पाकिस्तान द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को अपनाया, जिसके पक्ष में 115 देशों ने मतदान किया, विपक्ष में किसी ने भी मतदान नहीं किया और भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन सहित 44 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। 

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