उत्तराखंड। के उत्तकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को मंगलवार को बाहर निकाल लिया गया था। प्राथमिक चिकित्सकीय देखरेख के बाद मजदूरों को उनके घरों में भेजा जा रहा है। यूपी के मजदूरों का एक ऐसा ही समूह शुक्रवार की सुबह 6 बजे लखनऊ पहुंचा। यूपी के अलग-अलग जिलों के 15 मजदूर यहां पहुंचे। इन्हें डालीबाग स्थित अतिथि गृह में ठहराया गया है।
उत्तराखंड स्थित सिलक्यारा टनल से सकुशल निकले उत्तर प्रदेश के आठ श्रमिकों ने आज लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट की और आपबीती सुनाई। टनल में फंसे श्रमिकों ने पूरी घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री को बताया कि किस तरह से अचानक टनल धंसा और वे लोग मलबे में फंस गए। जिसके बाद सुरंग से निकलने की जद्दोजहद करने में जुटे रहे। सुरंग ढाई किलोमीटर गहरी, 14 मीटर चौड़ी और 10 मीटर ऊंची थी। सुरंग में इतनी जगह थी कि बिना ऑक्सीजन के भी रह सकते थे लेकिन जब ये हादसा हुआ मलबे की वजह से ऑक्सीजन की कमी के कारण घुटन होने लगी। पाइप के जरिए जब हम लोग को खाने– पीने की सामग्री, ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई तो उन लोगों में एक बार फिर से हौसला जागा कि वे लोग बच जाएंगे। टनल में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था पहले से थी।
अंडरग्राउंड वायरिंग की वजह से इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी लाइट नहीं कटी और हम लोग को रोशनी उपलब्ध रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धाबी की तारीफों के पुल बांधते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया और बताया कि किस तरह से वह लोग पल-पल उन लोगों की खोज खबर व उनका हाल-चाल ले रहे थे। श्रमिकों ने यह भी बताया कि जब उन लोगों को मालूम पड़ा कि उत्तर प्रदेश सरकार के भी अफसर यहां पर आए हैं और उन लोग की पल-पल की जानकारी कर रहे हैं तो उन सबका का हौसला बड़ा और एक बार फिर से जिंदगी वापस लौटने की आशा जागी। श्रमिकों ने बताया कि वे सभी पिछले 6 महीने से लेकर 1 साल से वहां पर काम कर रहे थे।
आठों श्रमिकों की दास्तां सुनने के बाद मुख्यमंत्री काफी गंभीर दिखे और सभी श्रमिकों का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया और उनके जज्बे को सराहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार उनके साथ हमेशा खड़ी है।इन सभी ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात की। मुलाकात करने के बाद इन्हें यूपी के अलग-अलग जिलों में स्थित इनके घरों में भेजने का प्रबंध किया जाएगा। अमर उजाला से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हमने हिम्मत कभी नहीं हारी। सभी साथी एक दूसरे का हौंसला बढ़ाते रहे। हमें यकीन था कि हम बाहर जरूर आएंगे। यह सभी मजदूर अपने-अपने घर पहुंच कर दीवाली मनाएंगे।