टैरिफ वॉर पर दुनिया के 27 देश एक साथ

नई दिल्ली। टैरिफ वॉर छेड़ चुके अमेरिका के खिलाफ भी मुल्क फैसले लेना शुरू कर चुके हैं। खबर है कि अब EU यानी यूरोपीय संघ ने कई अमेरिकी सामानों पर जवाबी टैरिफ लगाने की तैयारी की है। हालांकि, प्रस्ताव पर अभी सदस्य देशों की तरफ से मुहर लगाया जाना बाकी है। इधर, चीन की तरफ से जवाबी टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ने ड्रैगन को 50 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी दी है।

EU ने सोमवार को कुछ अमेरिकी सामान पर 25 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव दिया है। एजेंसी ने दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि कुछ सामान पर टैरिफ 16 मई से प्रभावी हो जाएगा। जबकि, कुछ अन्य पर भी इस साल से लागू होगा। इनमें हीरे, अंडे, डेंटल फ्लॉस, पोल्ट्री समेत कई चीजें शामिल हैं। खबरें हैं कि सदस्य देशों की तरफ से आपत्ति जताए जाने के बाद इस लिस्ट में से कुछ चीजों को हटाया गया है।

दरअसल, ट्रंप ने यूरोपीय संघ के मादक पेय पदार्थों पर 200 फीसदी का जवाबी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। इसके बाद फ्रांस और इटली जैसे सदस्य देश खासे चिंतित हो गए थे। यूरोपीय संघ ने सोमवार को कहा कि उसने ट्रेड युद्ध से बचने के लिए शून्य टैरिफ की पेशकश की है। ट्रंप ने 27 देशों के समूह ईयू पर स्टील और एल्युमिनियम और कार पर 25 फीसदी इम्पोर्ट टैरिफ और 20 फीसदी का ब्रॉडर टैरिफ लगाया है।

ट्रंप ने चीन की तरफ से लगाए गए जवाबी सीमा शुल्क को वापस न लेने की स्थिति में उस पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की सोमवार को धमकी दी। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रूथ सोशल’ पर पोस्ट में कहा, ‘अगर चीन आठ अप्रैल, 2025 तक अपने पहले से ही दीर्घकालिक व्यापार दुरुपयोगों से ऊपर 34 प्रतिशत की वृद्धि को वापस नहीं लेता है तो हम चीन पर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे, जो नौ अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा।’ ट्रंप के इस बयान से दुनिया की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध गहराने और वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता पैदा होने की आशंका बढ़ गई है।

ट्रंप ने दो अप्रैल को चीन और भारत समेत करीब 60 देशों पर अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाने की घोषणा की थी। चीन के उत्पादों पर अमेरिका ने 34 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया है। इस पर पलटवार करते हुए चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। व्यापार युद्ध छिड़ने की आशंका से शेयर बाजारों में चौतरफा गिरावट देखी जा रही है। इससे अमेरिका में भी आर्थिक वृद्धि सुस्त पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

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