22 फीसदी अमीरों को रास नहीं आ रहा अपना ही देश भारत

नई दिल्ली। भारत के 22 फीसदी अमीरों को अपना ही देश रास नहीं आ रहा। कोटक प्राइवेट की एक रिपोर्ट के अनुसार 22 फीसदी भारतीय रहने की स्थिति, विदेशों में बेहतर जीवन स्तर और आसान कारोबारी माहौल के कारण दूसरे देश में बसने की इच्छा रखते हैं। कोटक प्राइवेट द्वारा मंगलवार को जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। देश के 150 अमीर लोगों पर हुए सर्वेक्षण में ये नतीजा सामने आया है। दो तिहाई लोग इसलिए विदेश में बसना चाहते हैं, क्योंकि वहां कारोबार करना आसान है।

पांच देश पहली पसंद: देश के जो अमीर विदेशों में बसना चाहते हैं उनकी पहली पसंद अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) है। सर्वेक्षण में लोगों ने बताया कि वे यूएई में उसके गोल्डन वीजा योजना के कारण बसना चाहते हैं क्योंकि इसके कई लाभ हैं।

कोटक महिंद्रा बैंक की अध्यक्ष गौतमी गवांकर का कहना है कि अमीरों के विदेश जाने का मतलब ये नहीं है कि वे अपना पूरा पैसा भी भारत से ले जाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ नियम और शर्तें हैं, जिसके तहत कोई व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है।

गौतमी गंवाकर ने बताया कि भारत में रहने वाला नागरिक हर साल सिर्फ ढ़ाई लाख डॉलर ही लेकर जा सकता है। वहीं अनिवासी भारतीय के लिए ये सीमा दस लाख डॉलर है। नियमों से स्पष्ट है कि अमीर भले ही देश से चले जांए उनका पैसा भारत में ही रहेगा।

सर्वेक्षण में शामिल पांच में से एक अमीर व्यक्ति ने बताया कि वे दूसरे देश में बसने की प्रक्रिया में है या इसकी तैयारी कर रहे हैं। अधिकतर अमीर लोग और उनका परिवार भारत की नागरिकता के साथ दूसरे देश में नियमित रूप से रहने की इच्छा रखते हैं।

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