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अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने अनुच्छेद 370 को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर मंगलवार को सोलहवें दिन सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले पर संविधान बेंच 2 अगस्त से सुनवाई कर रही थी।

आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अकबर लोन के दिए बयानों का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले लोन ने एक आतंकी घटना के बाद मारे गए आतंकियों के प्रति सहानुभूति जताई थी, जबकि उस घटना में आम नागरिक और सैनिक भी शहीद हुए थे। आज कश्मीरी पीड़ितों के संगठन ‘रूट इन कश्मीर’ ने मोहम्मद अकबर के बयानों को लेकर एक और हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया।

सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील गोपाल शंकर नारायणन ने केंद्र के हलफनामे पर ऐतराज जताते हुए कहा कि केंद्र अलगाववादी एजेंडा को शह देने का आरोप लगा रहा है, क्योंकि अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अटार्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल ने भी ऐसा नहीं कहा कि उनकी याचिका इसलिए खारिज होनी चाहिए, क्योंकि वो अलगाववादी एजेंडा को शह दे रहे हैं। केंद्र ने भी इस केस के सिर्फ संवैधानिक पहलुओं पर अपनी बात रखी है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान के दायरे में नागरिकों की शिकायतों को सुनने के लिए न्यायालय तक पहुंच अपने आप में एक संवैधानिक अधिकार है। अनुच्छेद 32 के तहत न्याय पाने वाले किसी भी व्यक्ति को इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वे एक एजेंडे का पालन कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के जजों ने 4 सितंबर को याचिकाकर्ता अकबर लोन की तरफ से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाने पर सवाल किया था। इस पर वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि हममें से कोई भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे रहा। लोन सांसद हैं। संविधान की शपथ ली है। तब सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा था कि उनसे कहिए कि हलफनामा दाखिल करके कहें कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है।

दरअसल, लोन पर कश्मीरी पीड़ितों के संगठन ने ‘रूट इन कश्मीर’ ने आरोप लगाया गया है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उन्होंने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया था। वह अब भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा के कारण अनुच्छेद 370 हटाने को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ता हैं। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अकबर लोन को भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखने को लेकर हलफनामा दाखिल करना चाहिए।

केंद्र की ओर से एएसजी केएम नटराज ने दलील देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 एकमात्र ऐसा प्रावधान है, जिसमें खुद ही खत्म हो जाने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 किसी भी प्रकार का अधिकार प्रदान नहीं करता है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 का लागू रहना भेदभावपूर्ण है और मूल ढांचे के विपरीत है। जहां तक 370 का सवाल है, संघवाद का सिद्धांत के तहत कड़े अर्थों में इसका कोई अनुप्रयोग नहीं है।

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