एआई की रेस में जुकरबर्ग का बड़ा दांव

नई दिल्‍ली। एआई रेस में बाजी मारने के लिए मेटा के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने जोरदार चाल चली है। उन्होंने कंपनी के नए ‘सुपरइंटेलिजेंस लैब’ के लिए दुनिया भर के टॉप एआई एक्सपर्ट्स को जोड़ने की मुहिम छेड़ दी है। खबरों के मुताबिक, एप्पल, ओपनएआई, गूगल डीपमाइंड और एंथ्रोपिक जैसी दिग्गज कंपनियों के दिमागों को लुभाने के लिए मेटा ने 800 करोड़ रुपये से लेकर 1600 करोड़ रुपये तक के ऐतिहासिक सैलरी पैकेज ऑफर किए हैं।

खबरों के मुताबिक इसका मकसद है मेटा के अलग-अलग एआई प्रोजेक्ट्स को एकजुट करके ‘सुपरइंटेलिजेंस’ यानी मानव दिमाग से भी तेज एआई, की दौड़ में बढ़त हासिल करना। यह एजीआई (जनरल एआई) से भी कहीं बड़ा सपना है। इस भारी भरकम भर्ती अभियान ने सिलिकॉन वैली की एआई टैलेंट वॉर को पूरी तरह गरमा दिया है।

मेटा की इस टैलेंट हंटिंग ने ग्लोबल एआई रेस का पूरा नक्शा बदल दिया है। जुकरबर्ग का अरबों डॉलर का यह निवेश ओपनएआई, गूगल और एंथ्रोपिक जैसे प्रतिद्वंदियों के लिए अपने टैलेंट को बनाए रखने और इनोवेशन की रफ्तार बढ़ाने की चुनौती को और मुश्किल बना देगा। भले ही मेटा का यह सपना कब सच होगा पता नहीं, लेकिन टैलेंट की जंग का नया और धमाकेदार अध्याय शुरू हो चुका है। इसकी बानगी है एप्पल के रुओमिंग पैंग का मेटा में शामिल होना।

रिपोर्ट्स के अनुसार, रुओमिंग पैंग को 200 मिलियन डॉलर (1600 करोड़ रुपये से ज्यादा) का शानदार पैकेज मिला है। वहीं, ओपनएआई के ट्रैपिट बंसल को करीब 100 मिलियन डॉलर (लगभग 800 करोड़ रुपये) का ऑफर दिया गया था।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि ये पैकेज बेस सैलरी, बड़े साइनिंग बोनस और मेटा के शेयरों (स्टॉक) में भारी हिस्सेदारी से बने हैं, जिनके वेस्टिंग पीरियड लंबे हैं और इनमें परफॉर्मेंस से जुड़े लक्ष्य भी शामिल हैं, ताकि लोग लंबे समय तक कंपनी से जुड़े रहें। ये डीलें मेटा के एआई स्पेशलिस्ट्स को दुनिया की सबसे ऊंची सैलरी पाने वालों की कतार में खड़ा कर देती हैं, जो कई ग्लोबल बैंकों के सीईओ की कमाई को भी पीछे छोड़ देती हैं।

मेटा सुपरइंटेलिजेंस लैब को खासतौर पर ओपनएआई, गूगल डीपमाइंड और एंथ्रोपिक को टक्कर देने के लिए बनाया जा रहा है। जुकरबर्ग ने साफ कर दिया है कि एआई अब कंपनी की सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इसके लिए वो दुनिया के बेहतरीन दिमागों को लाने को तैयार हैं। इसका मतलब है मेटा की अलग-अलग एआई टीमों को एक छतरी के नीचे लाकर “सुपरइंटेलिजेंस” बनाने पर जोर देना। यह एक ऐसी अवधारणा है जो एजीआई (इंसानों जैसी बुद्धिमत्ता) से भी आगे बढ़कर इंसानी दिमाग से बेहतर प्रदर्शन करने वाली एआई की बात करती है।

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