
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को स्कूलों के मर्जर (विलय) मामले में बड़ा कानूनी सहारा मिला है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए स्कूल मर्जर के खिलाफ दाखिल दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस फैसले को सरकार के पक्ष में बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि स्कूलों के विलय का निर्णय राज्य सरकार की नीतिगत योजना का हिस्सा है और अदालत इस तरह के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी। कोर्ट ने यह फैसला सीतापुर के कुछ विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों समेत अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनाया है।
याचिकाओं में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी स्कूलों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने की बात कही गई थी। याचियों ने इसे शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) का उल्लंघन बताते हुए आदेश को रद्द करने की मांग की थी।
हालांकि, राज्य सरकार ने अदालत में मजबूत पक्ष रखते हुए कहा कि मर्जर का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना और संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना है। सरकार ने यह भी बताया कि राज्य में कई प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां एक भी छात्र नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों को पास के विद्यालयों में मिलाकर शिक्षकों और सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।