यूपी में विकास की योजना पर काम तेजी से शुरू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिल्ली-एनसीआर की तर्ज पर राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) के विकास की योजना तैयार की गई है। 71 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक साल में इस योजना पूरी करने की तैयारी है। योजना का क्रियान्वयन अगले पांच साल में पूरा होगा। एससीआर में छह जिले लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव और रायबरेली शामिल किए जाएंगे। विश्व बैंक इस पहल को तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। प्रस्तावित एससीआर कुल 26,700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला होगा। इसका उद्देश्य पूरे क्षेत्र में एकीकृत विकास को बढ़ावा देना है।

एससीआर योजना में हाई-स्पीड इंटर-डिस्ट्रिक्ट कनेक्टिविटी को मजबूत करने, बुनियादी ढांचे को उन्नत करने और संतुलित विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एक्सप्रेसवे, रिंग रोड, रैपिड रेल जैसे उन्नत परिवहन नेटवर्क और छूटे हुए सड़क संपर्कों को पूरा करना इसके प्रमुख घटक होंगे। इन प्रयासों से गतिशीलता में सुधार, औद्योगिक और वाणिज्यिक विकास को बढ़ावा मिलने और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

एससीआर की देखरेख करने वाली उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष केशव वर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के पारिजात सभागार में समिति की बैठक हुई। इसमें एससीआर योजना पर विस्तृत प्रजेंटेशन दिया गया। बैठक में प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन पी गुरु प्रसाद, प्रमुख सचिव शहरी विकास अमृत अभिजात, मंडलायुक्त रोशन जैकब, एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार, निदेशक आवास बोर्ड रवि जैन, मुख्य नगर नियोजक केके गौतम, विश्व बैंक के प्रतिनिधि, शहरी नियोजक और इंजीनियर मौजूद रहे।

जीआईएस आधारित क्षेत्रीय मास्टर प्लान तैयार करने के लिए एईसीओएम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और एजिस इंडिया कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के कंसल्टिंग कंसोर्टियम का चयन किया गया है। एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने कहा कि कंसल्टेंट एक साल में योजना तैयार करेंगे। अगले पांच साल में योजना से जुड़े प्रोजेक्ट घटकों की पहचान करेंगे। वे विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने और जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की देखरेख के लिए भी जिम्मेदार होंगे।

अधिकारियों ने कहा कि लखनऊ शहर पहले से ही अपेक्षाकृत विकसित है। एससीआर परियोजना आसपास के जिलों में समानांतर विकास सुनिश्चित करेगी। इससे नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और व्यवसाय के लिए राजधानी में पलायन कम होगा। जैसे-जैसे शहरी सुविधाएं अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित होंगी, निवासियों को बेहतर स्थानीय बुनियादी ढांचे, बेहतर रहने की स्थिति और बेहतर आजीविका के अवसरों का लाभ मिलेगा।

Related Articles

Back to top button