केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि महिला कर्मचारी वैवाहिक विवाद के मामले में पति के बजाय अपने बच्चे या बच्चों को पारिवारिक पेंशन के लिए नामांकित कर सकेंगी। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 50 सरकारी कर्मचारी या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन देने की अनुमति देता है। यदि किसी मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की जीवित पति या पत्नी हैं, तो पारिवारिक पेंशन सबसे पहले पति या पत्नी को दी जाती है। नियमों के अनुसार, मृत सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी के जीवन साथी के पारिवारिक पेंशन के लिए अयोग्य हो जाने या उसकी मृत्यु हो जाने पर ही परिवार के अन्य सदस्य अपनी बारी पर पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र बनते हैं।
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने अब नियमों में संशोधन किया है और एक महिला कर्मचारी को पारिवारिक पेंशन के लिए अपने पति के बजाय अपने बच्चे/बच्चों को नामांकित करने की अनुमति दी है। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) के सचिव वी श्रिनिवास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ उन सभी मामलों में जिनमें तलाक की याचिका दायर की गई है या घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत याचिका दायर की गई है या भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज मामले शामिल हैं, यह संशोधन एक महिला सरकारी कर्मचारी को पारिवारिक पेंशन पति के बजाय उसके पात्र बच्चे को वितरित करने की अनुमति देता है।’’
उन्होंने कहा कि यह संशोधन डीओपीपीडब्ल्यू ने प्राप्त अभ्यावेदनों को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के परामर्श से किया। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1989 बैच के राजस्थान कैडर के अधिकारी श्रिनिवास ने कहा, ‘‘यह संशोधन प्रगतिशील प्रकृति का है और पारिवारिक पेंशन के मामलों में महिला कर्मचारियों को सशक्त बनाता है।