पौष पूर्णिमा को वुल्फ मून, नारंगी दिखेगा चांद

सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है, इस दिन व्रत, पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. ऐसा करने से भक्तों को मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा के दिन पूरा चांद आसमान में एक तेज और आभा लिए रोशन होता है. जनवरी की पहली पूर्णिमा को वुल्फ मून के नाम से भी जाना जाता है. क्या है इस नाम के पीछे की वजह? साथ ही जानेंगे इस दिन का शुभ मुहूर्त हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह की पूर्णिमा तिथि 24 जनवरी 2024 की रात 9:24 बजे से शुरू हो रही है, जो 25 जनवरी 2024 की रात 11:30 बजे समाप्त होगी. इसलिए पौष पूर्णिमा 25 जनवरी को मनाई जा रही है. उस दिन ही वुल्फ मून है.

अमेरिका में जनवरी की पूर्णिमा को वुल्फ मून का नाम दिया गया है. पारंपरिक रूप से इस दौरान भेड़ियों को चिल्लाते हुए सुना जाता था, मान्यता है कि ऐसा वे सर्दियों में भूख के कारण करते थे.  इस वजह से इसे वुल्फ मून कहते हैं.  वुल्फ मून का चंद्रमा सबसे बड़ा और सबसे अच्छा दिखाई देता है. इसके चारों तरफ नारंगी रंग की आभा लगभग 15-20 मिनट तक दिखाई देती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस दिन चांद पृथ्वी के वायुमंडल के सबसे घने हिस्से से देखा जाता है.

वुल्फ मून अमेरिका के सेंट लुइस क्षेत्र में 11ः54 एएम पर दिखेगा. उस समय फुल मून होगा. हालांकि भारत में वुल्फ मून का समय रात 11ः24 पीएम पर होगा. वैसे भी भारत में वुल्फ मून जैसी कोई बात नहीं है. यहां पर माह के आधार पर पूर्णिमा होती है. इस बार पौष पूर्णिमा है, जिसका चंद्रोदय शाम 05 बजकर 29 मिनट पर होगा.
पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक रहेगा. इस समय कोई भी शुभ काम किया जा सकता है. इसके अलावा इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग का अद्भुत संयोग भी निर्मित हो रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस शुभ योग में धार्मिक कार्य और पुण्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.पौष पूर्णिमा के दिन जरूरतमंदों को तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इस बात का ध्यान रखें कि दान केवल जरूरतमंद लोगों को ही दें.

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