लोकसभा चुनाव 2019 में एक नारे धरती गूंजे आसमान, मोदी-नीतीश-पासवान की गूंज लोगों के कानों में इस कदर घर कर गई कि उसने बिहार की 40 में से एक सीट बट्टे के रूप में काट कर बाकी की पूरी 39 एनडीए के हिस्से में थमा दी। इस बार भी कमोबेश गठबंधन वही है, लेकिन परिस्थितियां नई है। 2019 से 2024 के बीच नीतीश कुमार की फ्लिप-फ्लॉप नीति ने राजनीति को तो दिलचस्प बनाए ही रखा, बिहार की सियासत को दिल्ली के केंद्र में भी लाए रखा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर नीतीश कुमार का एनडीए में आ जाना और दर्जनों बार सार्वजनिक मंच पर ये कहना कि बीच में इधर उधर चले गए थे। लेकिन अब हम कहीं नहीं जाएंगे। यहीं रहेंगे।
हालांकि विपक्ष की तरफ से उनकी प्रमाणिकता पर कभी सवाल उठाए जाते हैं। फिर कभी उनके आशीर्वाद की बात कही जाती है। ये दर्शाता है कि नीतीश कुमार की जरूरत सत्ता पक्ष या विपक्ष दोनों को है। लेकिन इस चुनाव के आगाज के साथ ही नरेंद्र मोदी से लेकर नीतीश कुमार बिहार में कैंपेन कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही पीएम मोदी ने जमुई से मिशन 2024 की शुरुआत की थी। उसके बाद से अभी तक बिहार में 10 जनसभाएं वो कर चुके हैं। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार इस बार चुनाव प्रचार में सुस्त दिखाई पड़ रहे हैं। बीच में उनके बीमार होने की खबर भी सामने आई। कुल मिलाकर देखा जाए तो 2019 के मुकाबले में वो कम जनसभाएं कर रहे हैं।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार फ्रंट फुट पर खेलते नहीं नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी का बिहार पर इस बार अधिक फोकस है। पीएम मोदी उम्मीदवारों के पक्ष में ही नहीं बल्कि जदयू और सहयोगी दलों की सीटों पर भी जनसभाएं करने पहुंच रहे हैं। बिहार एनडीए पहली बार ऐसा दिख रहा है कि नीतीश कुमार के हाथ में नहीं बल्कि पूरी कमान प्रदेश में भी पीएम मोदी के हाथों में है। वैसे आपको याद होगा कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार की सक्रियता शुरुआत के दो चरणों की वोटिंग के दौरान कम नजर आई थी। लेकिन एनडीए ने इसको भांपते हुए बाद में नीतीश को फ्रंट फुट पर उतारा और इसका लाभ विधानसभा चुनाव में एनडीए को हुआ था।
2019 में राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से एनडीए के खाते में 39 सीटें आई थी। 2014 में भी एनडीए को 31 सीटें मिली थी। 2024 में एक बार फिर एनडीए की कोशिश है कि राज्य की सभी 40 सीटें उनके खाते में आ जाएं। पीएम मोदी 10 जनसभा कर चुके हैं। अंतिम दो चरण के लिए प्रधानमंत्री की चार सभा प्रस्तावित है। कुल 16 जनसभाएं इस बार पीएम मोदी की बिहार में हो सकती है।