लखनऊ। उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए भाजपा द्वारा 09 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा से बीजेपी की सहयोगी पार्टिंयों निषाद पार्टी,अपना दल और सुहलेदव भारतीय समाज पार्टी के नेता बीजेपी से नाराज हो गये हैं। बीजेपी ने एक मात्र सीट जो सहयोगी दल के लिये छोड़ी है वह रालोद के खाते में गई है। नौ सीटों पर बीजेपी के चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने किया है।
इतना ही नहीं लगे हाथ इन सीटों के लिए नौ प्रत्याशियों के नाम को भी फाइनल कर दिया है। उप चुनाव पार्टी के पुरानों की जगह नए चेहरों को ही अधिक मौका दिया जाएगा। वहीं पिछड़ों और दलित नेता पर इस बार पार्टी ने काफी विश्वास जताया है। हालांकि इन प्रत्याशियों के नाम की घोषणा उप चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद की जाएगी। बीजेपी आलाकमान द्वारा पश्चिमी यूपी की मीरापुर सीट को रालोद को लिये छोड़ा है। यहां 2022 में भी रालोद यहां से जीती थी। जबकि नौ सीटों पर भाजपा अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी,इसमें से एक सीट पर संजय निषाद की पार्टी के नेता को भी बीजेपी के सिंबल से चुनाव लड़ाये जाने की चर्चा चल रही है।कुल मिलाकर बीजेपी ने इस बार सहयोगियों की बजाये अपने ऊपर ज्यादा विश्वास जताया है।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल की मौजूदगी में प्रत्याशियों के नाम तय किये गये हैं। बैठक में तय किया गया है कि सभी सीटों की जातीय समीकरण को देखते हुए ही नए चेहरों को उतारा जाएगा। यह भी तय किया गया है उप चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। संभावना है कि 20 अक्तूबर तक या इससे पहले ही उप चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। इसलिए अपनी तैयारियों को और तेज किया जाए। बैठक में एक-एक सीट पर जातीय समीकरण और मौजूदा मुद्दों पर भी चर्चा हुई । प्रदेश के नेताओं ने केन्द्रीय नेतृत्व को अब तक की तैयारियों की जानकारी दी और बताया किए पहले चरण के प्रचार, संपर्क और संवाद का कार्यक्रम पूरा हो चुका है।
साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा सभी सीटों पर किए गए कार्यक्रमों, विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास के साथ ही अब तक की गई जनसभाओं की भी जानकारी दी गई। वहीं, केन्द्रीय नेतृत्व को 8-9 सीटें जीतने का भरोसा भी दिया गया है। बैठक में सपा और बसपा द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों के लिहाज से रणनीति तैयार करने पर भी चर्चा हुई। खास कर उन सीटों पर चुनाव जीतने को लेकर अधिक प्रभावी तरीके से काम करने पर सहमति बनी है, जो सीटें सपा का कब्जा है।
बीजेपी आलाकमान ने कटेहरी, मिल्कीपुर और मझवां सीट को लेकर सबसे अधिक माथापच्ची की। सूत्रों का कहना है कि मिल्कीपुर सुरक्षित सीट बीजेपी द्वारा कोई दलित चेहरा तो कटेहरी और मझंवा सीट पर पिछड़ा समाज के नेताओं को ही उतारा जाएगा। दरअसल मिल्कीपुर और कटेहरी सीट जीतना भाजपा के लिए सबसे अधिक प्रतिष्ठा का सवाल है और मुख्यमंत्री खुद इन दोनों सीटों की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले रखी है। इसलिए भाजपा इन दोनों सीटों पर कोई खतरा मोल नहीं नहीं लेना चाहती है।
बीजेपी के भीतर 9 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति बनने के बाद कटेहरी और मझवां सीटों पर दावेदारी करने वाले संजय निषाद को मनाने की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को सौंपा गया है। केन्द्रीय गृहमंत्री ने तीनों नेताओं को संजय निषाद को समझाने को कहा है। दरअसल इन दोनों सीटों पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने दावा कर रखा है।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा निषाद को सिर्फ एक सीट देने पर विचार कर रही है, वह भी प्रत्याशी भाजपा के ही सिंबल पर ही चुनाव लड़ेगा। हालांकि निषाद इस फार्मूले पर सहमत नहीं हैं। वहीं, संजय निषाद का कहना है कि गठबंधन धर्म का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2022 के चुनाव में कटेहरी और मझंवा निषाद पार्टी को दी गई थी, तो इस बार क्यों नहीं। जब 2022 में मीरापुर सीट जीतने की वजह से यह सीट फिर से रालोद की जा रही है तो उन्हें भी दोनों सीटें मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लगातार बात हो रही है। कोई हल जरूर निकलेगा।