
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि रणनीतिक चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए ईरान के साथ भारत के समझौते से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा और लोगों को इसके बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। जयशंकर की टिप्पणी संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ईरान के साथ व्यापारिक सौदे को लेकर प्रतिबंधों की धमकी के बाद आई है। कोलकाता में अपने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा यह लोगों को संवाद करने, समझाने का सवाल है कि यह वास्तव में सभी के लाभ के लिए है। मुझे नहीं लगता कि लोगों को इसके बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण रखना चाहिए। मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका खुद अतीत में चाबहार बंदरगाह की प्रासंगिकता की सहारना कर चुका है।
भारत द्वारा ईरान में चाबहार बंदरगाह को 10 वर्षों के लिए संचालित करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दोहराया कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदों पर विचार करने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। यह बात ऐसे समय में आई है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने इजराइल पर हमले के बाद ईरान के मानवरहित हवाई वाहन उत्पादन को निशाना बनाते हुए उस पर नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने भारत और ईरान के बीच समझौते के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हम इन रिपोर्टों से अवगत हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं भारत सरकार को चाबहार बंदरगाह के साथ-साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संबंध में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों के बारे में बात करने दूंगा।
ईरान में भारतीय दूतावास द्वारा एक्स पर पोस्ट की एक श्रृंखला के अनुसार, भारत और ईरान के बीच अनुबंध पर इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के बंदरगाहों और समुद्री संगठन द्वारा बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में तेहरान में हस्ताक्षर किए गए।