पत्नी को फ्लैट के रजिस्ट्रेशन में छूट : एससी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक विवाद के निपटारे के तहत पत्नी को अगर फ्लैट दिया गया है, तो उस फ्लैट के रजिस्ट्रेशन पर स्टांप ड्यूटी नहीं लगेगी। दरअसल, पति और पत्नी के बीच तलाक से जुड़े एक मामले में सुलह हुई, जिसमें पति ने पत्नी के पक्ष में फ्लैट पर अपना अधिकार छोड़ दिया। बदले में पत्नी ने गुजारा भत्ते (alimony) का दावा छोड़ दिया। शीर्ष अदालत ने विवाह संबंधी विवाद में समझौते के तहत पत्नी को दिए गए फ्लैट को स्टांप शुल्क के भुगतान से छूट दी है।

मौजूदा मामले में दोनों पक्षकारों (पति-पत्नी) का जॉइंट फ्लैट महाराष्ट्र के कल्याण में था। इसी दौरान, दोनों में वैवाहिक विवाद हुआ। पत्नी ने तलाक की अर्जी बांद्रा, मुंबई में दाखिल की। पति ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर तलाक केस दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में ट्रांसफर करने की गुहार लगाई। मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा गया।

मध्यस्थता की कार्यवाही के दौरान, मुंबई में स्थित फ्लैट पर दावे को लेकर विवाद पैदा हो गया। दोनों पति-पत्नी ने इसकी खरीद में योगदान देने का दावा किया। आखिर में इस मामले में एक समझौता हुआ, जिसके तहत याचिकाकर्ता पति ने फ्लैट पर अपने अधिकारों को छोड़ने पर सहमति जताई। जबकि पत्नी ने इसके बदले में गुजारा भत्ते (एलीमनी) का दावा छोड़ दिया।

इसके बाद मामला जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच के सामने आया। कोर्ट के सामने यह भी आया कि पति और पत्नी ने मध्यस्थता प्रक्रिया में आपसी सहमति से तलाक लेने पर सहमति जताई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने यह सवाल था कि क्या इस समझौते के तहत फ्लैट का पूरा मालिकाना हक पत्नी के नाम पर बिना स्टांप शुल्क चुकाए ट्रांसफर हो सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उठे सवाल पर अहम कानूनी व्यवस्था दी है। 28 फरवरी को दिए अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि यह फ्लैट समझौते का हिस्सा है और इस कारण यह इस अदालत के सामने कार्यवाही का विषय (सब्जेक्ट मैटर) बनता है। ऐसे में रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत शुल्क में दी गई छूट लागू होगी और पत्नी के नाम पर फ्लैट के रजिस्ट्रेशन के लिए स्टांप शुल्क का भुगतान आवश्यक नहीं होगा।

यह फैसला महिलाओं को संपत्ति के अधिकारों के संदर्भ में एक मजबूत कानूनी सुरक्षा देता है। ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रियाएं आसान होंगी, जिससे पारिवारिक विवादों को तेजी से निपटाया जा सकेगा। फैसले से साफ हो गया है कि ऐसी किसी संपत्ति का हस्तांतरण न्यायालय द्वारा अनुमोदित समझौते का हिस्सा है, तो उसे स्टांप शुल्क से छूट मिल सकती है। यह फैसला अन्य समान मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण नज़ीर (precedent) बनेगा।

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