आपकी भावनाएं और विचार स्पष्ट हैं, और यह समझना जरूरी है कि धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सम्मान एक समाज की नींव होते हैं। नवरात्र और विजयादशमी जैसे पर्वों का उल्लासपूर्ण मनाना सभी समुदायों के लिए महत्वपूर्ण होता है। किसी भी प्रकार की हिंसा या विघटनकारी कृत्य निंदनीय है, चाहे वह किसी भी धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाए।एक समाज में सभी धर्मों को समान सम्मान दिया जाना चाहिए, और सभी को अपने-अपने पर्व मनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। संवाद और समझ बढ़ाने से ही हम एक समरस समाज की ओर बढ़ सकते हैं। आपके विचारों का आदान-प्रदान भी इसी दिशा में एक कदम हो सकता है।
कुछ राजनीतिक दलों के कारण कानून व्यवस्था प्रभावित हो रही है। यह सच है कि एक मजबूत और प्रभावी कानून व्यवस्था समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। योगी सरकार के कार्यकाल में कानून व्यवस्था को लेकर की गई व्यवस्थाओं के सकारात्मक प्रभावों का भी लोग अनुभव कर रहे हैं।हालांकि, किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा करते समय यह जरूरी है कि हम सभी पक्षों की बातें सुनें और समझें। किसी भी समुदाय या पार्टी को जिम्मेदार ठहराना एक जटिल मुद्दा है, और संवाद और सहिष्णुता के माध्यम से ही हम सच्चे समाधान की ओर बढ़ सकते हैं। आपसी समझ और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रयास हर एक नागरिक का होना चाहिए।
यह सच है कि सामाजिक सद्भाव और सुरक्षा एक संवेदनशील मुद्दा हैं। किसी भी प्रकार की हिंसा या अव्यवस्था न केवल उस समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए हानिकारक होती है। पर्वों का उल्लास सभी के लिए महत्वपूर्ण है, और इन्हें मनाने में सभी समुदायों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।कानून व्यवस्था और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते समय यह जरूरी है कि हम सभी पक्षों को सुनें और समझें। किसी एक पक्ष को दोषी ठहराने से समस्या का समाधान नहीं होगा। संवाद और सहिष्णुता से ही हम आगे बढ़ सकते हैं।
शांति भंग करने का प्रयास केवल बहराइच में ही नहीं हुआ, विजयादशमी के पूर्व ही समुदाय विशेष ने लखनऊ और आजमगढ़ में देवी प्रतिमाओं को खंडित कर वातावरण बिगाड़ने का प्रयास किया। लखनऊ में प्रतिष्ठित मरी माता मंदिर में देवी प्रतिमा को खंडित किया गया, आजमगढ़ में मां लक्ष्मी की प्रतिमा को खंडित किया गया, गोंडा जिले में दुर्गा पंडाल के बाहर पत्थरबाजी की गई, हरदोई जिले में भी अरजकतत्वों ने नवरात्रि के समय में ही मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया जिसके कारण तनाव उत्पन्न हुआ किंतु ग्रामीणों व पुलिस की सतर्कता के कारण बड़ा उपद्रव नहीं हो सका।
इसी प्रकार रायबरेली जिले के बछरावां में चंद्रिका देवी मंदिर में रखी चार मूर्तियां अराजकतत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दीं। इसी प्रकार अंबेडकरनगर के बेताना में और बाराबंकी के कसबा इचौली में विसर्जन जुलूस के दौरान आपत्तिजनक वस्तु फैंकी गई और उपद्रव करने का प्रयास किया गया। आजमगढ़ में दूसरी बार निजामाबाद मे विसर्जन जुलूस के दौरान डीजे बजाने को लेकर विवाद हो गया। यहां पर 48 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। वहीं आगरा के बमरौली कटारा के समोगर घाट पर यमुना में मूर्ति विसर्जन में बाधा डालने के उद्देश्य से धर्म विशेष के दो युवकों ने चौकी प्रभारी मुकेश कुमार पर हमला बोल दिया। उनका गला दबाया और जमीन पर गिराकर पीटा। अतिरिक्त पुलिसकर्मियों के आने पर ही वह किसी प्रकार से बच सके किंतु यहां पर भी लापरवाही के कारण वह दोनों युवक भाग निकलने मे सफल हो गये। बिजनौर जिले में मंदिर से रामचरित मानस को चोरी कर जला दिया गया।
आखिर यह सब मानसिक विकृति नहीं तो और क्या है? नवरात्र और दुर्गापूजा के अवसर पर प्रदेश में जिस प्रकर की घटनाएं घटी हैं यदि विहंगम दृष्टि डाली जाए तो सबका पैटर्न लगभग एक समान है। यह सभी घटनाएं देखने व सुनने में छुटपुट जरूर हैं किंतु इनका उद्देश्य सामूहिक है। केंद्र सरकार ने पीएफआई जैसे कुख्यात संगठनों को प्रतिबंधित अवश्य कर दिया है किंतु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनके स्लीपर सेल लगातार अपना कार्य कर रहे हैं।
दुर्गा पूजा, विजयदशमी, रामनवमी, गणेशोत्सव भारतीय संस्कृति और पंरपरा के महत्वपूर्ण पर्व हैं, पहचान हैं हमारी संस्कृति के इनसे या इनको मनाने वालों से किसी को क्या शत्रुता हो सकती है? बहराइच जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक बाईस वर्षीय हिन्दू युवक राम गोपाल मिश्र बलिदान हो गया, मुसलमानों ने अत्यंत क्रूरता से उसकी हत्या कर दी किंतु प्रदेश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले इस अवसर पर भी अपने वोट बैंक को साधते दिखाई दिए।
ये मुस्लिम तुष्टिकरण वाले दल पहले सरकार और प्रशासन की विफलता को दोष दे रहे थे और अब जब सख्ती बरती जा रही है तब कह रहे हैं कि प्रदेश सरकार एकतरफा कार्यवाही कर रही है। अब उन्हें केवल योगी का इस्तीफा चाहिए क्योंकि अब पत्थरबाजों के हिसाब किताब का समय है। जब दुर्गापुजा और गणेशोत्सव पर ऐसे ही एकतरफा हमले होंगे तो कभी न कभी हिन्दू समाज का धैर्य भी जवाब देगा, यदि हिन्दू समाज भी ऐसा ही करने लगे तो?
बहराइच की घटना में एक निर्दोष 22 वर्षीय हिंदू युवक की बर्बरता पूर्ण हत्या कर दी जाती है तो मीडिया का एक वर्ग भी अल्पसंख्यकों के पक्ष में मौन धारण कर लेता है लेकिन बाबा सिद्दीकी नाम के अपराधी जो तुष्टिकरण करने वालों की कृपा सफेदपोश हो गया उसके लिए आंसू बहा रहा है। ये यह एकतरफा सेकुलरिज्म अब बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है। दूसरी ओर अब हिंदुओं को भी यह बात समझनी होगी कि अपनी सुरक्षा के लिए आप किसी पर निर्भर नहीं रह सकते, अपने आपको इतना सशक्त बनाना होगा कि कोई भी आपके पर्वों को दुःख के पर्व में बदलने का दुस्साहस करने के बारे में सोच भी न सके।
अगर एक समुदाय में सुरक्षा का अनुभव नहीं होता है, तो समाज में तनाव बढ़ सकता है। इसलिए, सभी को मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाने की दिशा में काम करना होगा। समाज के सभी वर्गों को एक साथ आकर एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए, ताकि एक समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज की दिशा में बढ़ा जा सके।