शीश महल विवाद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के दिल्ली इकाई प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा सहित पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के आवास के पास विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में दिल्ली भाजपा सांसद मनोज तिवारी, और हाल ही में आप छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कैलाश गहलोत भी शामिल थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान भा.ज.पा. कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुए पुलिस बैरिकेड पर चढ़ते नजर आए। यह प्रदर्शन शीश महल विवाद को लेकर था, जिसमें भाजपा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के संसाधनों का दुरुपयोग करते हुए अपने सरकारी आवास को महल जैसा बना दिया। भाजपा का कहना था कि जब दिल्ली में अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है, तब मुख्यमंत्री का इस तरह का महलनुमा आवास बनाना पूरी तरह से अनुचित है और इसका विरोध किया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों की सक्रियता और आक्रामकता को देखते हुए पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे।
सचदेवा ने लिखा कि अब भाजपा कार्यकर्ताओं का संघर्ष रंग ला रहा है, कार्यकर्ताओं के संघर्ष ने केजरीवाल की नींद उड़ा दी है; राजतंत्र का अनुभव करके सत्ता का सुख भोगने वाले केजरीवाल को ज्ञात होना चाहिए कि भारत लोकतांत्रिक देश है यहाँ सत्ता परिवर्तन वोट की ताक़त से होता है, दिल्ली की जनता यह सवाल पूछ रही है कि इस शीशमहल में इतना विलासितापूर्ण जीवन जीने का सामान कहां से आया? दिल्लीवासियों की गाढ़ी कमाई के दुरुपयोग से या शराब और दिल्ली में हुए विभिन्न घोटालों से या फिर AAP की पंजाब सरकार से? वहीं, पूर्व आप और अब भाजपा नेता कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार के लंबित कार्यों के कारण दिल्ली के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और विश्वास जताया कि 2025 के विधानसभा चुनावों में भाजपा सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि हम यहां ‘शीश महल’ मुद्दे पर विरोध करने आए हैं। जब मैंने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा तो साफ लिखा कि शीश महल को लेकर जो विवाद पैदा किया गया है, वह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। यह आम आदमी पार्टी के मूल सिद्धांतों से समझौते का उदाहरण है।
शीश महल विवाद का पृष्ठभूमि
यह विवाद दिल्ली मुख्यमंत्री के आवास के सौंदर्यकरण और पुनर्निर्माण को लेकर है। भाजपा और विपक्ष ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग करके अपने निवास को एक महल जैसा बना लिया है, जबकि दिल्ली के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, और बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है। भाजपा ने इस मामले को लेकर आरोप लगाया कि यह खर्चे एक प्रकार से राजनीतिक शो-ऑफ के तौर पर किए गए हैं, जबकि जनता की मूलभूत समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। वहीं, आप पार्टी ने इन आरोपों को बेबुनियाद और राजनीतिक मकसद से प्रेरित करार दिया है, और दावा किया है कि मुख्यमंत्री का आवास एक कार्यस्थल के रूप में उपयोगी था और इसकी मरम्मत, निर्माण कार्यों को सरकार की योजनाओं के तहत किया गया था।
विरोध प्रदर्शन का असर
यह विरोध प्रदर्शन दिल्ली की राजनीति में एक नए मोर्चे को खोलता है, जहां दोनों प्रमुख दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा। भाजपा इसे लुटेरा राजनीति और राजस्व की बर्बादी के तौर पर पेश कर रही है, जबकि आप इसे संगठित राजनीतिक हमले के रूप में देख रही है। दिल्ली में इस मुद्दे पर आगे क्या घटनाक्रम होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा, खासकर आने वाले दिल्ली नगर निगम चुनावों के संदर्भ में, जहां यह मुद्दा राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन सकता है।