झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार तेज हो चुका है और पहले चरण की वोटिंग के लिए आज प्रचार का आखिरी दिन है। इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड के जमशेदपुर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस चुनाव को ‘माटी, बेटी, रोटी’ के लिए और झारखंड को बचाने के लिए लड़ा जा रहा है। उनका कहना था कि यह चुनाव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि संस्कृति और समाज को बचाने की लड़ाई है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मौके पर कहा कि झारखंड के लोग अपनी जड़ों और संस्कृति को बचाने के लिए इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से पाकुड़ और साहिबगंज जिलों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां जनसांख्यिकीय बदलाव देखने को मिला है, जिसे राजनीतिक दृष्टिकोण से गंभीर माना जा रहा है। उनका यह बयान उन इलाकों में बढ़ते अल्पसंख्यक प्रभाव और हिन्दू-बहुल इलाकों में सांस्कृतिक बदलाव के संदर्भ में था।
रैली के दौरान, हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि झारखंड का भविष्य इस चुनाव पर निर्भर करता है, और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सरकार बनाना झारखंड की संस्कृति और समाज को बचाने के लिए जरूरी है। उनका आरोप था कि कुछ राजनीतिक दलों ने समाज को विभाजित करने की कोशिश की है, और इसलिए इस चुनाव में भाजपा की जीत से राज्य को इस खतरे से बचाया जा सकता है।
हिमंत बिस्वा सरमा का यह बयान झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चुनाव केवल राजनीतिक बदलाव का नहीं, बल्कि संस्कृतिक और पहचान की भी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। उनके बयान से यह भी साफ होता है कि भाजपा इस चुनाव को धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों के आधार पर भी एक रणनीतिक युद्ध मान रही है।