
देहरादून। उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ डीएम गैंगस्टर ऐक्ट की तरह संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई कर सकेंगे। आरोपियों को अब कोर्ट से आसानी से जमानत भी नहीं मिलेगी। धर्मांतरण के मामलों में अब पीड़ित के खून के रिश्ते के अलावा अन्य आम लोग भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
जबरन धर्मांतरण करने वालों की एफआईआर दर्ज करने के बाद संपत्ति कुर्क के लिए अधिनियम में हुए नए संशोधन में डीएम को अधिकृत किया गया है। ये कार्रवाई गैंगस्टर ऐक्ट की तरह ही अमल में लाई जाएगी। दोषियों की जमानत के मामले अब सिर्फ सत्र न्यायालय ही सुन सकेगा। हिरासत में लिए गए आरोपी को तब तक जमानत नहीं मिलेगी, जब तक की दूसरे पक्ष को सुना नहीं जाएगा। आरोपी पक्ष को ये प्रमाणित करना होगा कि उसकी जमानत का जिस आधार पर विरोध किया जा रहा है, वो गलत है।
अभी तक धर्मांतरण के मामले में एफआईआर दर्ज कराने, शिकायत करने का अधिकार सिर्फ पीड़ित पक्ष के खून के रिश्तेदारों को ही था। अब नए संशोधन में कोई भी आम आदमी भी शिकायत दर्ज करा सकेगा। सामान्य धर्म परिवर्तन के मामले में सजा को बढ़ा दिया है। न्यूनतम तीन वर्ष और अधिकतम 10 साल की सजा होगी। पहले न्यूनतम दो वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की सजा थी। जुर्माना भी 25 हजार रुपये से बढ़ा कर एक लाख रुपये कर दिया गया है।
धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में कालनेमियों के खिलाफ भी कार्रवाई के सख्त प्रावधान किए गए हैं। छद्म पहचान का प्रयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। सार्वजनिक भावना का अहित करने, जानबूझ कर छद्म भेष धारण कर जनता को भ्रमित करने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। कालनेमियों की ओर से धर्मांतरण जैसे काम करने पर उनके खिलाफ भी सख्त प्रावधान लागू होंगे।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से जुड़े लोगों के धर्म परिवर्तन के मामले में अधिक सजा का प्रावधान किया गया है। अब न्यूनतम पांच वर्ष और अधिकतम 14 वर्ष सजा होगी। पहले न्यूनतम दो वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष सजा का प्रावधान था। पीड़ित को पांच लाख का प्रतिकर भी दिया जाएगा। आरोपी से ये प्रतिकर जुर्माने के अलावा वसूला जाएगा।
सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में भी सजा को बढ़ा दिया गया है। अब न्यूनतम सात साल और अधिकतम 14 साल की जेल होगी। जो पहले न्यूनतम तीन साल और अधिकतम 10 साल थी। अब ऐसे मामलों में जुर्माना भी 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। नाबालिग और महिलाओं के धर्मांतरण पर भी न्यूनतम पांच साल और अधिकतम 14 साल की जेल होगी।
विदेशी फंडिंग, चंदा लेकर जबरन धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई के सख्त प्रावधान किए गए हैं। ऐसे मामलों में न्यूनतम सात साल और अधिकतम 14 साल जेल का सख्त प्रावधान किया गया है। धर्म परिवर्तन के मामले में सोशल मीडिया पर ब्लैकमेल करने वालों के खिलाफ भी पहली बार कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में आईटी ऐक्ट के तहत सख्त कार्रवाई होगी।
जानमाल और संपत्ति का डर दिखाकर धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। विवाह का धोखा देकर, हमला कर, षड्यंत्र, नाबालिग तस्करी, दुष्कर्म कर धर्मांतरण कराने वालों को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम आजीवन कारावास का कड़ा प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में 10 लाख तक का जुर्माना अलग से होगा।