महाराष्ट्र में ऑपरेशन सिंदूर को फेल बताने पर बवाल

मुम्बई। ऑपरेशन सिंदूर को फेल बताने पर महाराष्ट्र सरकारने कड़ा ऐतराज जताया है। महाराष्ट्र के गृहराज्य मंत्री योगेश कदम ने कहा कि ऐसा बयान पूरे देश का अपमान है। कदम ने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर को फेल बताना गलत है। हमारे देश के जवानों ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट किया। आज तक पाकिस्तान में किसे ने ऐसी कार्रवाई नहीं की थी। पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान आतंकियों का हब है, उस पर हमला करने की हिम्मत भारत ने दिखाई। इसलिए ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाकर आप देश की बदनामी पूरी दुनिया में कर रहे हो। मुझे लगता है कि अगर आप सपोर्ट नहीं कर सकते तो कम से कम चुप बैठना चाहिए। ऐसी मानसिकता को सड़ा हुआ दिमाग ही कहेंगे।’

दरअसल, राज्यसभा सांसद संजय राउत ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर को फेल बताया था। शिवसेना यूबीटी नेता का यह बयान तब आया जब भारतीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल दुनिया भर में भेजा गया है। साथ ही, विपक्षी नेता पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक की भी मांग की है। राउत ने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर विफल रहा। हालांकि, राष्ट्रहित में विपक्ष इस पर ज्यादा बात नहीं करना चाहता। पहलगाम में आतंकवादियों की ओर से 26 निर्दोष लोगों की हत्या के कारण ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ। हमले के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार थे और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। पीएम मोदी को अमित शाह को मंत्रिमंडल से हटा देना चाहिए।’

ऑपरेशन सिंदूर भारत की ओर से 6-7 मई की रात शुरू किया गया सैन्य अभियान था। यह 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के शिविर नष्ट किए गए। इस अभियान में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी हथियारों और तकनीक का उपयोग हुआ, जिसमें नूर खान और रहीमयार खान जैसे पाकिस्तानी एयरबेस को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन भारत के मजबूत वायु रक्षा तंत्र ने इसे नाकाम कर दिया। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान में दहशत पैदा कर दी। भारत ने वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए 32 देशों में राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भेजे, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को स्पष्ट कर रहे हैं।

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