
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज महाकुम्भ के दौरान गंगा और यमुना के पानी की गुणवत्ता पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) में सुनवाई करने के बारे में यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने बड़ी बात कही है। यूपीपीसीबी ने बताया कि जनवरी-फरवरी में महाकुंभ शहर से लिए गए पानी के नमूने ‘सुरक्षा मानकों’ पर खरे उतरे हैं। ये सुनवाई एनजीटी में होनी है। यूपीपीसीबी का प्रतिनिधि वहां जाएगा। इस दौरान यूपीपीसीबी की तरफ से जल निगम की एक रिपोर्ट भी पेश की जाएगी। यह रिपोर्ट एमएनआईटी के अध्ययन पर आधारित है।
यूपीपीसीबी की तरफ से आज एनजीटी में जो रिपोर्ट फाइल की जानी है, उसमें प्रयागराज में 6 जगहों से लिए गए सैंपल को आधार बनाया गया है। इसमें 4 नमूने गंगा के हैं और दो यमुना नदी से लिए गए हैं। ये सभी नमूने 12, 16, 20, 25, 30 जनवरी और 5, 10 और 13 फरवरी को लिए गए। बता दें सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने 12, 13, 15, 19, 20, 24 और 28 जनवरी को गंगा और यमुना के कई जगह नमूने लिए।
यूपीपीसीबी के सचिव संजीव कुमार ने बताया कि प्रयागराज में 10 एसटीपी और 6 जियोट्यूब काम कर रहे हैं। जल निगम ने 81 नालों को नदी में गिरने से रोका है। हम अपनी विस्तृत रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष पेश करेंगे। जल निगम सूत्रों के अनुसार एक जनवरी से 4 फरवरी के बीच 3660 एमएलडी पानी नदियो में ट्रीटमेंट के बाद रिलीज किया गया। इसके अलावा टिहरी बांध से भी प्रदूषण कम करने के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है।
दरअसल पिछले दिनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के माध्यम से एनजीटी को सूचित किया गया कि प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 के दौरान विभिन्न स्थानों पर गंगा और यमुना नदी के जल का स्तर स्नान के लायक नहीं है। सीपीसीबी के अनुसार, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 एमएल है। नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान करते हैं, जिसमें अपशिष्ट जल की सांद्रता में वृद्धि होती है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने 3 फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कुछ गैर-अनुपालन या उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया।
पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के एनजीटी के पूर्व के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है। एनजीटी ने कहा कि यूपीपीसीबी ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र दाखिल किया।
एनजीटी ने मामले में उत्तर प्रदेश राज्य के वकील को रिपोर्ट पर गौर करने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। पीठ ने कहा कि सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी और प्रयागराज में गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार संबंधित राज्य प्राधिकारी को 19 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में डिजिटल तरीके से उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।